RBI MPC Meeting: फेस्टिव सीजन से पहले RBI का बड़ा तोहफा, चोथी बार रेपो रेट में नहीं किया बदलाव
RBI MPC Meeting Updates: फरवरी महीने में रेपो रेट बढ़कर 6.50 फीसदी पर पहुंच गया था, जिसके बाद से RBI ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है.
RBI MPC Meeting Updates: फेस्टिव सीजन से पहले RBI ने लोगों को बड़ा तोहफा दिया है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. इस बार भी रेपो रेट 6.50 फीसदी पर बरकरार रहेगा. इसका मतलब है कि EMI में कोई बदलाव नहीं होगा. गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी दी है.
फरवरी से नहीं हुआ बदलाव
पिछले मई 2022 में Repo Rate 4 फीसदी पर था, जो इस साल फरवरी महीने तक बढ़कर 6.50 फीसदी पर पहुंच गया. इसके बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.
लोन की दरों पर असर
रेपो रेट का असर लोन पर भी देखने को मिलता है, अगर रेपो रेट बढ़ता है तो बैंक, कार, होम, पर्सलन लोन की ब्याज दरें भी बढ़ जाती हैं. RBI के रेपो रेट को स्थिर रखने के फैसले से आम आदमी को बड़ी राहत मिली है.
ये भी पढ़ें- Kisan Samman Nidhi: PM किसान योजना में अब मिलेंगे 8000 रुपए! जल्द हो सकता है ऐलान
दरों को स्थिर रखने के पक्ष में सदस्य
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, MPC के छह में से पांच सदस्य इसे स्थिर रखने के फैसले के पक्ष में थे, जिसके बाद इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया.
GDP अनुमान
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई और GDP अनुमान भी जारी किया है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए महंगाई अनुमान को 5.4% पर बरकरार रखा है. दरअसल, पिछली बैठक में इसे 5.1% से बढ़ाकर 5.4% कर दिया गया था. वहीं रियल GDP ग्रोथ का अनुमान भी 6.5% पर बरकरार रखा गया है और वित्तीय वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही के लिए भी रियल GDP अनुमान 6.6% है.
महंगाई
-अगस्त महीने में रिटेल महंगाई में गिरावट आई थी. रिटेल महंगाई घटकर 6.83% पर आ गई थी, जो जुलाई में ये 7.44% पर थी. ये कमी सब्जियों के दाम में कमी होने की वजह से आई थी.
-अगस्त महीने में थोक महंगाई दर बढ़कर -0.52% पर पहुंच गई, जो जुलाई में -1.36% रही. लगातार पांचवें महीने में थोक महंगाई दर शून्य से नीचे रही.
रेपो रेट का महंगाई का असर
RBI रेपो रेट के माध्यम से महंगाई को काबू करता है, जब महंगाई ज्यादा होती है तो रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है. दरअसल, रेपो रेट बढ़ने से बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा हो जाएगा, जिससे मनी फ्लो कम होगा और महंगाई में भी कमी आएगी.