Sunflower farming: ऐसा माना जाता है कि सूरजमुखी की खेती मुनाफा देता है. वहीं इसकी खेती तीनों मौसम में किया जा सकता है. सूरजमुखी को बेहद ही महत्वपूर्ण तिलहनी फसल माना जाता है. अच्छा मुनाफा देने वाले इस फसल को नकदी खेती के रूप में भी देखा जाता है. वहीं इसकी बुवाई ऐसे समय में करना चाहिए जब इसके  फूल लगने के समय हल्की बूंदा-बांदी शुरु हो और बादल छाए रहें. वहीं तापमान 39 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने से बचे. 


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आपको बता दें कि सूरजमुखी की खेती अम्लीय और क्षारीय मिट्टी को छोड़कर सिंचित दशा वाली मीट्टी में की जा सकती है. लेकिन सूरजमुखी की खेती के लिए सबसे बेहतर दोमट मिट्टी को माना जाता है. जिन जगहों पर इसकी खेती पारंपरिक तरिके से नहीं की जा सकती है वहां इसकी बुवाई वसंत ऋतु में जनवरी से फरवरी के अंत तक की जाती है. सूरजमुखी की खेती करने के लिए कई चीजों का ध्यान देने बेहद जरूरी माना जाता है. 


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सूरजमुखी के बुवाई को तरिका
आईसीएआर की  रिपोर्ट के अनुसार, सूरजमुखी की फसल या खेती करने के लिए मीट्टी अच्छी करह से छनी हुई और उपजाऊ होना जरूरी माना जाता है. वहीं बीज  भूमि की दशा, दानों के आकार, अंकुरण प्रतिशत, और बोने का समय बोने की विधी पर निर्भर करती है. वहीं इसकी सिचाई के लिए 4 से 5 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीज पर्याप्त माना जाता है. इसकी बुवाई के समय इस बात का खास ध्यान देना होता है कि पंक्ति से पंक्ति की दूरी कम से कम 60 सेमी की हो और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी और बीज की गहराई कम से कम 4 से 5 सेमी होनी जरूरी माना जाता है. इन सब बातों को ध्यान में रखने के बाद ही सूरजमुखी की खेती करनी चाहिए.