सुनो सरकार! साइबर सिटी की एक तस्वीर यह भी है, निगम की बेरुखी शिक्षा के मंदिर पर पड़ रही भारी
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सुनो सरकार! साइबर सिटी की एक तस्वीर यह भी है, निगम की बेरुखी शिक्षा के मंदिर पर पड़ रही भारी

Gurugram News: दिल्ली से सटे साइबर सिटी गुरुग्राम के बादशाहपुर इलाके में गंदगी के ढेर के बीच पढ़ने को छात्राएं मजबूर हैं. जहां छात्राओं को क्लास रूम में थोड़ी हवा और सूरज की रोशनी आ सके इसके लिए कभी-कभी खिड़कियां खोली तो जाती है, लेकिन जहरीले बदबू के डर से खिड़कियों को बंद करना पड़ंता है.

सुनो सरकार! साइबर सिटी की एक तस्वीर यह भी है, निगम की बेरुखी शिक्षा के मंदिर पर पड़ रही भारी

गुरुग्राम: भले ही सरकार और प्रशासन देश के भविष्य को उज्ज्वल करने के लिए लाख दावें करती हो, लेकिन साइबर सिटी गुरुग्राम में कुछ अलग ही मंजर देखने को मिला. देश के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए जहां हरियाणा सरकार बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ की मुहिम चला रही है. वहीं दूसरी तरफ गुरुग्राम में देश का भविष्य इस कदर गंदगी के ढेर के बीच पढ़ने को मजबूर है. न तो यहां सरकार की नजर पड़ रही है और न ही प्रशासन आंख खोलने को तैयार है.

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दरअसल यह गुरुग्राम के बादशाहपुर इलाके के मॉडल संस्कृति गर्ल्स स्कूल की है. जहां खुला मैदान एक गंदगी के ढेर में तब्दील हो चुका है. बहरहाल देश के भविष्य को उज्ज्वल बनाने की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर है उनकी मानें तो स्कूल प्रबंधन की तरफ से कई बार निगम के अधिकारियों को इस गंदगी की समस्या से अवगत कराया जा चुका है, लेकिन सालों बीत जाने के बाद भी इस समस्या का समाधान नहीं हुआ.

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स्कूल प्रबंधन की मानें तो कई बार नगर निगम अधिकारियों को इस समस्या से रूबरू कराया, लेकिन निगम अधिकारियों की नींद खुलने का नाम नहीं ले रही. इसका परिणाम ये है कि अब स्कूल के बाहर कूड़े का पहाड़ खड़ा हो चुका है. आलम ये है कि जब स्कूल में पढ़ने के लिए छात्राएं आती हैं तो मुंह पर रुमाल बांधना पड़ता है. जिससे कि कूड़े की ढेर से आने वाली बदबू उनकी सांसों में जहर बन कर न घुले. क्लास रूम में थोड़ी हवा और सूरज की रोशनी आ सके इसके लिए कभी-कभी खिड़कियां खोली तो जाती है, लेकिन जहरीले बदबू के डर से खिड़कियों को बंद करना पड़ंता है.

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अध्यापकों की मानें तो पिछले साल स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं की संख्या 553 थी वो घटकर 500 रह गई है. स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं के परिजनों का कहना है कि अगर इस तरह यहां गंदगी का अंबार लगता रहा तो वो अपने बच्चों का एडमिशन विड्रॉ करके दूसरे स्कूल में एडमिशन कराएंगे. साथ ही ये भी कहा कि नहीं तो फिर बच्चों को घर बैठा देंगे, लेकिन इस स्कूल में नहीं पढ़ने भेजेंगे. बरहाल अब देखना होगा कि गुरुग्राम नगर निगम इस गंदगी के ढेर को कब तक साफ करता है या फिर बच्चों को अपना भविष्य उज्ज्वल बनाने का सपना खुद ही तोड़ना होगा.

Input: योगेश कुमार 

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