हरियाणा के 1259 जेबीटी टीचर्स को तगड़ा झटका, कोर्ट ने नियुक्ति को माना अवैध, 3 महीने में बर्खास्त
पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट ने 2017 में नियुक्त हुए 1259 जेबीटी टीचर को तगड़ा झटका दिया है. हाईकोर्ट ने नियुक्ति को अवैध करार देते हुए उन्हें 3 महीने के अंदर बखार्स्त करने के आदेश दिए हैं. साथ ही हटाए गए टीचर्स को अप्रैल-मई 2017 के दिन से नियुक्ति, वरिष्ठता आदेश और वित्तीय लाभ देने का भी आदेश दिया.
नई दिल्ली: हरियाणा के 1259 जेबीटी टीचर्स को पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट (HC) से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने 2017 में नियुक्त 1259 जेबीटी टीचर की नियुक्ति को अवैध करार दे दिया है. हाईकोर्ट ने तीन महीने के भीतर इन टीचर्स को नोटिस देकर बखार्स्त करने का आदेश दिया. कोर्ट ने इन पदों पर विज्ञापन जारी होने की तिथि के दिन योग्य उम्मीदवारों को भर्ती करने का निर्देश दिया. अगर उनकी भर्ती के बाद भी कुछ पद रिक्त रहते हैं तो भर्ती के दिन वेटिंग लिस्ट वाले योग्य उम्मीदवारों को रखा जा सकता है.
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इस मामले में याची पक्ष के वकील विक्रम श्योराण ने बताया कि हरियाणा सरकार ने 2012 में 8760 जेबीटी (JBT) शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. इसके लिए सरकार ने कट ऑफ डेट 11 दिसंबर 2021 घोषित की थी. इसमें केवल वही उम्मीदवार भाग ले सकते थे, जिसने अध्यापक राज्य पात्रता परीक्षा पास की हो, लेकिन सरकार ने उस दौरान अध्यापक राज्य पात्रता परीक्षा आयोजित ही नहीं की, जिस कारण इस भर्ती में केवल वही उम्मीदवार भाग ले सके, जिन्होंने 2011 में अध्यापक राज्य पात्रता परीक्षा पास की थी. इसके बाद हरियाणा सरकार ने 2013 में राज्य पात्रता परिक्षा आयोजित की. इस दौरान सरकार ने बताया था कि 2012 में यह परीक्षा आयोजित नहीं हो सकी थी, इसलिए यह परीक्षा अप्रैल 2013 में होगी.
प्रोविजनल तौर पर परीक्षा में भाग लेने की दी इजाजत
इसको लेकर तभी उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में काफी सारी याचिका दायर की गईं कि सरकार ने 2012 में अध्यापक राज्य पात्रता परीक्षा नहीं ली. अब सरकार यह परिक्षा ले रही है. इसलिए उन्हें भी इस भर्ती में भाग लेने की अनुमति दी जाए. इसके बाद कोर्ट ने उन उम्मीदवारों को 2013 प्रोविजनल तौर पर परीक्षा में भाग लेने की इजाजत दे दी. इसके बाद परिक्षा का परिणाम आया, जिसमें ज्यादतर उन लोगों ने परिक्षा पास की, जिन्होंने प्रोविजनल तौर पर इसमें भाग लिया था. अब टीचर भर्ती बोर्ड के पास दो तरह के उम्मीदवार थे. इक तो प्रोविजनल और दूसरे जिन्होंने 2013 में यह परिक्षा पास की. इसके बाद बोर्ड ने भर्ती का परीक्षा का परिणाम घोषित कर केवल कट ऑफ डेट 11 दिसंबर 2012 के दिन योग्य उम्मीदवारों को नियुक्ति देने के आदेश जारी कर दिए.
वकील ने बताया कि इसके बाद 2013 में परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों ने कोर्ट में केस दायर कर दिया. इसमें उन्होंने कहा कि प्रोविजनल उम्मीदवारों से ज्यादा हैं. इसलिए एक योग्यता सूची बनाकर नियुक्ति दी जाए. इस दौरान सरकार ने आश्वासन दिया कि राज्य में टीचर के काफी पद खाली हैं और वह दोनों सूची के उम्मीदवारों को नियुक्ति दे देगी. इस पर कोर्ट ने कहा कि इसरकार संयुक्त मेरिट लिस्ट बनाकर नियुक्ति दे सकती है, लेकिन विज्ञापन में तय पदों से ज्यादा पदों पर भर्ती नहीं कर सकती. कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि कट ऑफ डेट 11 दिसंबर 2012 के बाद योग्य हुए उम्मीदवारों की नियुक्ति इस याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगी.
इसके बाद सरकार ने जो सूची जारी की तो उसमें प्रोविजनल उम्मीदवार काफी संख्या में भर्ती से बाहर हो गए. वहीं सरकार ने उनको नोटिस देकर उनकी सेवा खत्म कर दी. वहीं प्रतीक्षा सूची के उम्मीदवार भी बाहर हो गए. इसके बाद संयुक्त योग्यता सूची से प्रभावित उम्मी दवार जो कट ऑफ डेट के दिन योग्य थे, उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि कट ऑफ डेट के बाद आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को नियुक्ति देने का
कानून गलत है. इसलिए इनकी नियुक्ति रद्द कर उनको नियुक्त दी जाए.
विक्रम श्योराण ने बताया कि इन याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस जी एस संधावालिया की बेंच ने कहा कि कट ऑफ डेट के बाद के उम्मीदवारों को मौका देने का सरकार का गलत निर्णय था. कोर्ट ने सरकार के उस आदेश को गलत करार दिया, जिसके तहत कट ऑफ डेट के दिन योग्य चयनित टीचर को हटाकर दूसरी सूची के उम्मीदवारों को नियुक्ति दे दी थी. कोर्ट ने सभी हटाए गए शिक्षकों को अप्रैल-मई 2017 के दिन से नियुक्ति, वरिष्ठता आदेश और वित्तीय लाभ देने का भी आदेश दिया.
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