Mahendragarh News: अभी तक सौर ऊर्जा के लिए सौर ऊर्जा पैनल छतों एवं जमीनों पर ही लगाया सकता था, लेकिन अब यह पैनल जलाशयों, तालाबों और गांव के जोहड़ों में लगाया जा सकता है. ऐसी ही एक खोज हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ में अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी पीठ के अंतर्गत संचालित इलेक्ट्रिकल इंजीनियर विभाग में सहायक आचार्य डॉ. मुनीष मानस ने की है. उन्होंने एक ऐसा फोटोवोल्टिक्स तैयार किया है जो कि स्थिर न होकर आसानी से तरल सतह पर कार्य करने में समक्ष है. 


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इस खोज के लिए डॉ. मुनीष मानस और उनके सहयोगियों को पेटेंट भी प्राप्त हुआ है. डॉ. मुनीष मानस व उनकी टीम ने बताया कि यह तालाब के 55 प्रतिशत हिस्से पर लगाया जाएगा. इस प्रोजेक्ट से भूमि की बचत होगी, जलाश्यों में भाप बनकर उड़ने वाले 28 प्रतिशत पानी की बचत होगी, जलाश्यों में पानी के स्तर कोई कमी नहीं आएगी. भूमि पर स्थापित होने वाले सोलर प्लांट की अपेक्षा अधिक उत्पादन होगा, रख रखाव पर कम खर्च, शैवाल से पानी खराब होने की समस्या में कमी आएगी. 


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उन्होंने बताया कि महेंद्रगढ़ के गांव पाली स्थित जलाश्य पर केंद्रीत एक प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिसके अंतर्गत करीब छह हजार वर्ग मीटर के तालाब पर लगभग 3500 वर्ग मीटर फोटोवोल्टिक प्लांट स्थापित किया जा सकता है. यह प्लांट 723 किलोवॉट ऊर्जा क्षमता वाला होगा. इसके माध्यम से 30 वर्षों तक  सौर ऊर्जा का लाभ प्राप्त किया जा सकेगा.  


इतनी बिजली उत्पादन होने के बाद 300 घरों में 30 सालों तक नि:शुल्क बिजली सप्लाई दी जा सकेगी. उन्होंने बताया कि अगर राज्य सरकारें इस पर सबसिडी दें दें तो हर गांव बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बन सकेगा और राज्यों को भी दूसरी जगह से महंगें दामों पर बिजली की खरीद नहीं करनी पड़ेगी. उन्होंने बताया कि यह फ्लोटिंग सोलर सिस्टम सीधे तैार पर समाज हितकारी साबित होगा.   


Input: Pradeep Sharma