Haryana Asha Workers: आशा वर्कर पिछले 19 दिनों से अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर है, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक बातचीत की कोई पहल नहीं की गई है. ऐसे में 28 तारीख को विधानसभा का घेराव करने की भी बात कही जा रही हैं. ऐसे में Zee मीडिया संवाददाता पहुंचे फरीदाबाद के सेक्टर वाला 12 जिला लघु सचिवालय पर, जहां पर पिछले 19 दिनों से जिले की आशा वर्कर अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठी हुई है और की उनसे खास बातचीत हुई.


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फरीदाबाद जिले की आशा वर्कर यूनियन प्रधान हेमलता ने बताया कि 28 तारीख को हमारा विधानसभा का घेराव है. यहां से 6 से 7 गाड़ियां जा रही हैं. सरकार अगर यह सोचती है कि जैसे क्लर्कों को उठा दिया. ऐसे ही आशा बहनों को उठा देगी, तो सरकारी गलत सोच रही है. आशा बहने बिल्कुल टक्कर लेने पर तुली हुई है. जब तक मांगों को नहीं माना जाएगा. तब तक बहने अपनी दरी नहीं छोड़ने वाली.


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उन्होंने आगे बताया कि हम बार-बार इस मंच के माध्यम से सरकार को बता रहे हैं कि आप जो अनदेखी कर रहे हो, उसका खामियाजा आपको भुगतान भरना पड़ेगा. ये आशा बहने हैं, यह जीत कर जाएंगे और अपनी मांगों को मनवा कर जाएंगे. तो वहीं, मौके पर मौजूद राष्ट्रीय अध्यक्ष ऑल इंडिया स्टेट एंप्लॉय फेडरेशन,  सुभाष लांबा ने बताया कि 8 अगस्त से पूर्व नोटिस देने के बाद, आशा कर्मी हड़ताल पर आई है और आशा वर्कर यूनियन ने सभी MLA, विपक्षी दलों को, आज भी नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मेमोरेंडम दिया है कि हमारे मसलों को विधानसभा सेंशन चल रहा है उसमें उठाया जाए.


उन्होंने आगे बताया कि अब सत्ता पक्ष का भी, विपक्ष का भी मालूम पड़ेगा कि हमारे मसलों को कितना उठा रहे हैं और जब अब तक सरकार ने बातचीत नहीं करी है तो जो डेमोक्रेटिक तरीका है, 28 तारीख को प्रदेश की 20000 से ज्यादा आशा वर्कर विधानसभा के घेराव के लिए कूच करेंगे. 4000 मानदेय है इनका जो न सरकारी कर्मचारी का वेतन है ना मजदूर की मजदूरी है. यह आशा वर्कर है यह सारे काम करती हैं.


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उन्होंने आगे कहा कि फिर चाहे चुनाव की ड्यूटी हो या नसेडियों की गिनती करनी हो सब काम आशा वर्कर करती है. हमारी गवर्नमेंट बोलती है कि यह सेंटर गवर्नमेंट का प्रोजेक्ट है वह पैसे बढ़ेंगे, लेकिन जो स्टेट के काम है उनका पैसा कौन देगा. वेतन राज्य सरकार ने देना है केंद्र सरकार ने नहीं देना. जहां तक क्लर्क की हड़ताल का सवाल है क्लर्कों को जो भारतीय जनता पार्टी या आरएसएस का जो मजदूर संगठन है.



बीएमसी उसने कहा कि आप हमारे पास आओ हम आपको 35400 की मांग का समाधान करवाएंगे, लेकिन बीएमसी कभी नहीं चाहते थे की ज्वाइंट एक्शन कमेटी बने क्योंकि उन्होंने सरकार से अटा सटी करनी थी. क्योंकि जो सरकार ने उन्हें ऑफिस दे रखे हैं वह खाली कर लेती. क्लर्क सरकार के जाल में फंस गए. आशा वर्कर दो-चार दिन के लिए हड़ताल पर नहीं बैठे हुए. इन्हें कोई जल्दी नहीं है. सरकार नशे सत्ता के नशे में चूर है.


(इनपुटः अमित चौधरी)