Faridabd News: क्लर्कों की हड़ताल के बाद अब आशा वर्कर बैठीं धरने पर, सरकार को बताया गूंगी, बहरी, लंगड़ी
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Faridabd News: क्लर्कों की हड़ताल के बाद अब आशा वर्कर बैठीं धरने पर, सरकार को बताया गूंगी, बहरी, लंगड़ी

Faridabad News: हरियाणा के फरीदाबाद में क्लर्कों का धरना खत्म हुआ तो अब भी आशा वर्करों की हड़ताल जारी है. उनका कहना है कि हम अपनी मांग पूरी होने पर ही धरने खत्म करेंगे.

Faridabd News: क्लर्कों की हड़ताल के बाद अब आशा वर्कर बैठीं धरने पर, सरकार को बताया गूंगी, बहरी, लंगड़ी

Faridabad News: हरियाणा में लिपिकों की एक महीने से भी अधिक समय से हड़ताल चल रही है. वहीं अब सरकार के साथ हुई स्कारात्मक बातचीत के बात फिलहाल तीन महीने के लिए स्थगित कर दी गई हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशा वर्कर्स अपनी मांगो को लेकर अब भी हड़ताल पर हैं. ऐसे में फरीदाबाद के सेक्टर 12 लघु सचिवालय परिसर के बाहर पिछले 10 दिन से लगातार हड़ताल पर बैठे हुए आशा वर्करों के बीच जाकर ज़ी मीडिया ने उनसे खास बातचीत की.

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फरीदाबाद के सेक्टर 12 जिला न्यायालय परिसर के बाहर जहां जिले की आशा वर्कर लगातार 10वें दिन अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हुए हैं. बातचीत में जिला प्रधान हेमलता ने बताया कि फिलहाल क्लर्कों की हड़ताल स्थापित की गई है. वह एक तरीके से बीएमएस वाले थे. बीएमस बीजेपी की पार्टी है. उनको बहका कर बैठाया गया था. उनका मनाया तो उनको उठाया दिया गया, मगर यह आशा वर्कर हैं. यह सीटू की यूनियन से आशा वर्कर पीछे हटने वाली नहीं है, जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती.

सरकार अगर किसी रंग में है जैसे कलर्क को उठा दिया है. ऐसे भी आशा वर्करों को भी उठा देंगे तो यह उनकी गलत सोच है. आशा वर्कर अपनी मांग पर अडिग हैं, जब तक उनकी मांगी पूरी नहीं होगी जब तक नहीं हटेगी.

वहीं जिला सचिव सुधा ने बताया कि सरकार ने क्लर्कों को तो आश्वासन देकर उठा दिया है. एक कमेटी बैठा दी है. 3 महीने बाद उनका रिव्यू लेगी. हम जानना चाहते हैं कि रिव्यू क्या लेंगे. कर्मचारी काम कर रहे हैं. किस बात का रिव्यु लेंगे. क्या सरकार ने आशा वर्करों का रिव्यु लिया. इंद्रधनुष योजना का देश में का इतना बड़ा प्रोग्राम चल रहा था. इतने दिनों में इतना पता लग गया होगा कि आशा वर्कर जो काम करके दे सकती है, वह और कोई नहीं कर सकता. वहीं मिशन इंद्रधनुष इनका फ्लोप हो चुका है जो राष्ट्रीय प्रोग्राम है.

धरने पर बैठी हुई आशा वर्कर कमला कहती है कि आज 10 दिन हो गए धरने पर बैठे हुए. हम 2005 से लगे हुए हैं. सरकार ने कुछ नहीं दिया. 4000 रुपये में क्या होता है. बच्चों की फीस भी नहीं जाती. सब्जी के रेट भी बढ़ चुके हैं. टमाटर 200 रुपये प्रति किलो हो चुका है. ऐसे में आशा वर्कर 4000 रुपये में क्या कर लेंगी. कुछ नहीं किया जा सकता. बच्चों की फीस तक नहीं जा पाती. 

उन्होंने कहा कि हम धरने पर बैठे हुए हैं. सरकार को दिखा देंगे की आशा वर्कर में कितना जोर है और कितना दाम है. आशा वर्करों की नई भर्ती भी नहीं करने देंगे. 20000 आशा वर्कर धरने पर बैठे हैं, जो सरकार को दिखा देंगे कि हमारी ताकत कितनी है. आशा वर्कर मुकेश कहती है कि आज दसवां दिन है. सरकार गूंगी, बहरी, लंगड़ी और अंधी है, जो हमारी बातों को सुन नहीं सकती. सरकार में दम हो तो 20000 नई आशा वर्कर भर्ती करके दिखाएं. हम सरकार से डट के मुकाबला करेंगे और अपनी मांगों को पूरी करवाएंगे. 

फरीदाबाद के सैदपुर से आई तीन महीने के गोदी में लिए हुए बच्चे के साथ धरने पर बैठी हुई आशा वर्कर रमता कहती है कि 8 तारीख से बच्चे के साथ रोज धरने पर यहां आ रही हैं. सरकार से यही कहूंगी कि हमारी मांगे जल्द से जल्द पूरी करें. हम बहुत परेशान हैं. यहां कम से कम 20 से 25 महिलाएं बच्चों के साथ आ रही हैं, जिनके छोटे-छोटे बच्चे हैं. बच्चों के साथ यहां बहुत परेशानी आती है. 4000 में हमारा गुजारा नहीं हो पाता है.

Input: Amit Chaudhary