Fatehabad: फतेहाबाद में पराली जलाने से रोकने पहुंचे सरकारी कर्मचारियों को बनाया बंधक
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Fatehabad: फतेहाबाद में पराली जलाने से रोकने पहुंचे सरकारी कर्मचारियों को बनाया बंधक

Fatehabad: फतेहाबाद के रतिया इलाके में पराली जलाने की सूचना मिलने पर पहुंचे 2 कर्मचारियों को किसानों द्वारा बंधक बना लिया गया, जिसके बाद पुलिस की मदद से दोनों कर्मचारियों को छुड़ाया गया. 

Fatehabad: फतेहाबाद में पराली जलाने से रोकने पहुंचे सरकारी कर्मचारियों को बनाया बंधक

फतेहाबाद: हरियाणा के फतेहाबाद में पराली जलाने के मामले को लेकर लगातार प्रशासन और किसान आमने-सामने हैं. प्रशासन द्वारा पराली जलाने वाले किसानों के ऊपर जुर्माना लगाया जा रहा है. दूसरी तरफ किसान सरकार से मशीनों की मांग कर रहे हैं. इस बीच रतिया इलाके में एक किसान ने पराली जलाई गई जगह पर पहुंचे कृषि विभाग के दो कर्मचारियों को बंधक बना लिया. 

क्या है पूरा मामला 
हरियाणा में किसान धान की कटाई के बाद दूसरी फसल की बुवाई के लिए अपने खेतों में पराली जलाते हैं, जिसकी वजह से हरियाणा और दिल्ली में काफी तेजी से प्रदूषण बढ़ता है. प्रदूषण से बचने के लिए सरकार द्वारा किसानों को पराली जलाने से रोका जा रहा है. अगर कोई पराली जलाता पाया जाता है, तो उस पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है. यही वजह है कि किसान चोरी-छुपे खेतों में पराली जला रहे हैं.

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सोमवार को फतेहाबाद के रतिया इलाके में पराली जलाने की सूचना मिलने पर कृषि विभाग के दो कर्मचारी मौके पर पहुंचे. जिसके बाद वहां मौजूद किसानों से दोनों कर्मचारियों को बंधक बना लिया. किसानों का कहना था कि उनकी कर्मचारियों से कोई दुश्मनी नहीं, लेकिन वो मौके पर अधिकारियों की उपास्थिति चाहते हैं. लगभग 2 घंटे तक किसान अपनी मांगो पर अड़े रहे, जिसके बाद मौके पर पुलिस ने पहुंच कर दोनों कर्मचारियों को छुड़ाया. 

किसानों का कहना है कि उन्हें न तो मशीने उपलब्ध कराई जा रही हैं और न ही सरकार उनके खेतों से पराली उठाने का कोई इंतजाम कर रही है. गेहूं की बिजाई सर पर है, ऐसे में मजबूरी में हमे खेतों में पराली जलानी पड़ रही है. हम कई बार धरना प्रदर्शन करके सरकार को समझा चुके हैं, लेकिन सरकार नहीं सुन रही. 

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इसके पहले भी किसान दे चुके हैं चेतावनी
इससे पहले भी किसानो ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए 1 नवंबर पराली की मशीनें उपलब्ध कराने की मांग की है. साथ ही किसानों का कहना है कि अगर मशीने नहीं उपलब्ध कराई गईं, तो पराली की जिम्मेदार सरकार होगी. 

 

 

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