विनोद लांबा/चंडीगढ़ः हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने कहा है कि फसल चक्र में बदलाव जल संरक्षण के लिए दिन-प्रतिदिन समय की आवश्यकता बनता जा रहा है. कम पानी से पकने वाली फसलों पर कृषि वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहे हैं. किसानों को भी अधिक से अधिक फसल विविधीकरण की ओर जाना होगा. प्रदेश में मक्का के अधीन क्षेत्र को बढ़ाने की योजना तैयार की जा रही है.


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जेपी दलाल आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के लुधियाना स्थित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों से समीक्षा बैठक कर रहे थे. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक डॉ. हरदीप कुमार व अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे. बैठक में कृषि मंत्री को अवगत करवाया गया कि हरियाणा में मक्का की खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान केंद्र कार्य कर रहा है.


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उन्होंने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर 500 एकड़ में प्रदर्शन खेती फार्म की योजना तैयार की गई है.   किसानों का रुझान मक्का की ओर बढ़े इस दिशा में कार्य किया जा रहा है. किसानों को किसान उत्पादन समूह के माध्यम से उद्योग से जोड़ा जा रहा है. इसी कड़ी में हम अंबाला या करनाल में सितंबर माह के तीसरे सप्ताह में "मक्का दिवस" भी मना रहे हैं. दलाल को "मक्का दिवस" के अवसर पर मुख्य अथिति के रूप में कार्यक्रम में आने का निमंत्रण भी दिया गया है.


दलाल ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को निर्देश दिए कि मक्का नीति का प्रारूप तैयार करें. इसके लिए भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना के अधिकारियों के साथ भी सलाह कर लें. उन्होंने कहा कि हमें खरीफ मक्का की ओर जाना चाहिए क्योंकि गौशालाओं में गौवंश के लिए चारे की आवश्यकता रहती है इसलिए किसान, गौशाला तथा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग मिलकर काम करें.


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उन्होंने आगे निर्देश दिए कि गौशालाओं की जमीन पर चारे के लिए मक्का की खेती की जा सकती है. इसके लिए कम से कम 10 गौशालाओं को चिन्हित किया जाए. डॉ. हरदीप कुमार ने मंत्री को आश्वासन दिया कि वे शीघ्र ही पंजाब का दौरा करेंगे और परिषद द्वारा तैयार किये गए साइलोज का अवलोकन करेंगे.


बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों को जानकारी दी कि हरियाणा के मुख्यमंत्री जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए पहले से ही सजग हैं और उन्होंने मेरा पानी, मेरी विरासत नाम की एक अनूठी योजना लागू की है जिसके तहत धान की फसल के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलें उगाने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाती है.


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उन्होंने कहा कि बाजरा बाहुल्य जिले नामतः नूंह, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, भिवानी में भी मक्का की फसल के प्रति किसानों को प्रेरित करने के लिए परिषद कार्य करें. सरकार की ओर से पूरा सहयोग किया जाएगा. इस बात की जानकारी दी गई कि परिषद ने पंजाब में मक्का की खेती को बढ़ावा देने के लिए कईं साइलो प्लांट बनाए हैं जहां से पशु चारा पैक कर दूसरे राज्यों में भेजा जाता है. परिषद हरियाणा में भी साइलो पर काम करने की योजना तैयार कर रहा है जिसका प्रस्तुतीकरण  श्री जेपी दलाल के समक्ष किया गया.


बैठक में इस बात की जानकारी दी गई कि हरियाणा में मक्का की खेती वाले जिलों में सोनीपत, पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र और करनाल शामिल हैं. हालांकि सिरसा, भिवानी, पानीपत, रोहतक, करनाल व चरखी दादरी के कुछ क्षेत्रों में भी मक्का की खेती की जाती है.  खरीफ सीजन 2022-23 के लिए लगभग 20,000 एकड़ क्षेत्र मक्का की खेती के अधीन लाने का लक्ष्य रखा गया है. औसतन उत्पादन 12 से 13 क्विंटल प्रति एकड़ रहता है तथा 25,000 मीट्रिक टन  मक्का के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.


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उन्होंने कहा कि भारत में मक्का का उपयोग बेबी कॉर्न, स्वीट कॉर्न व अन्य आहार के रूप में किया जाता है. पशु आहार में भी मक्का का उपयोग होता है. स्टार्च उद्योग में भी इसका उपयोग किया जाता है. सोनीपत जिले का मनोली गांव तो बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न की खेती के लिए जाना जाता है. साल 2022 -23 के लिए मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1962 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है. हरियाणा में खरीफ मक्का की बुआई आमतौर पर 15 जून से 20 जुलाई के बीच होती है तथा कटाई का समय 10 सितंबर से 31 अक्टूबर तक रहता है.