Haryana: प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे करने वाली कंपनी ब्लैक लिस्ट, सरकार ने 8 करोड़ का भुगतान रोका
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Haryana: प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे करने वाली कंपनी ब्लैक लिस्ट, सरकार ने 8 करोड़ का भुगतान रोका

Haryana News: सभी 88 शहरों के अधिकारियों ने अपनी वेरिफिकेशन रिपोर्ट में सर्वे को शत-प्रतिशत सही बताकर कंपनी को 57.55 करोड़ रुपये की पेमेंट करवा दी थी, जबकि ग्राउंड लेवल पर कंपनी का सर्वे पूरी तरह बोगस निकला.

Haryana: प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे करने वाली कंपनी ब्लैक लिस्ट, सरकार ने 8 करोड़ का भुगतान रोका

चंडीगढ़: हरियाणा में प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में भ्रष्टाचार की शिकायत पर लोकायुक्त जस्टिस हरिपाल वर्मा का नोटिस मिलते ही प्रदेश सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. नगर पालिकाओं, नगर निगमों, नगर परिषदों में प्रॉपर्टी आईडी का सर्वे करने वाली जयपुर की याशी कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है. इसके साथ ही कंपनी के 8,06,36, 069 रुपये के बकाया बिलों का भुगतान भी रोक दिया गया है. 

इतना ही नहीं सरकार ने ठेका लेते समय कंपनी द्वारा जमा कराई गई लाखों रुपये की परफॉर्मेंस बैंक गारंटी राशि भी जब्त कर ली है और टेंडर एग्रीमेंट भी रद्द कर दिया है. इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने अपनी शिकायत में घोटाले की जांच सीबीआई से करवाकर केस दर्ज कराने, सर्वे करने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने और भुगतान की गई 57.55 करोड़ की पेमेंट ब्याज सहित वसूल करने की मांग की थी.
शिकायत का संज्ञान लेते हुए लोकायुक्त ने 8 अगस्त को नोटिस भेजकर सरकार से 8 नवंबर तक जांच रिपोर्ट तलब की थी. इसके बाद ही सरकार ने ये बड़ी कार्रवाई की है. 

काम में बेहिसाब लापरवाही के लिए 57 करोड़ 
बताया जा रहा है कि सभी 88 शहरों के अधिकारियों ने अपनी-अपनी वेरिफिकेशन रिपोर्ट में सर्वे को शत-प्रतिशत सही बताकर साइन ऑफ सर्टिफिकेट जारी करवा दिया था. इसके बाद कंपनी को 57.55 करोड़ रुपये की पेमेंट करवा दी गई थी, जबकि ग्राउंड लेवल पर कंपनी का सर्वे पूरी तरह बोगस निकला. सर्वे में किसी का नाम गलत, किसी का एरिया गलत, किसी का टैक्स अमाउंट गलत तो कहीं रिहायशी प्रॉपर्टी को कमर्शियल दिखा दिया गया. इसके उलट कमर्शियल प्रॉपर्टी को रिहायशी बना दिया गया. यही नहीं कहीं किरायेदार को ही बिल्डिंग मालिक बना दिया गया.

हरियाणा के कई जिलों में प्रॉपर्टी मालिक ये शिकायत कर चुके हैं कि उनकी प्रॉपर्टी का सर्वे सही तरीके से नहीं किया गया है. आईडी बनाने के दौरान कंपनी के कर्मचारियों ने दस्तावेज में नाम गलत चढ़ा दिए, जिससे संपत्ति की रजिस्ट्री समेत कई काम बाधित हुए. इसे सही कराने के लिए रजिस्ट्री ऑफिस के बाहर लंबी-लंबी लाइनें देखी गईं थीं. 

इनपुट: विजय राणा

 

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