परंपरागत खेती छोड़ किसान कर रहे टनल फार्मिंग, सरकार दे रही 35 हजार रुपये प्रति एकड़
देश में अब किसान परमपरागत खेती छोड़ आधुनिक खेती कर रहे हैं. वहीं इस कड़ी में हरियाणा के किसान टनल फार्मिंग कर रहे हैं. इसके लिए सरकार किसान को प्रति एकड़ 35 हजार रुपये भी दे रही है.
रुस्तम जाखड़/पलवल: हरियाणा सरकार के द्वारा किसानों को लो टनल की खेती करने के लिए 50% अनुदान दिया जा रहा है. योजना रंग दिखा रही है जिला में दूसरी फसलों को छोड़कर इस बार किसान 1000 टनल फार्मिंग की खेती कर रहे हैं. पलवल जिले के किसान अब धान व गेहूं जैसी पारंपरिक खेती से अलग हटकर बागवानी की नकदी फसल उगाने में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं. किसान अब लो टनल फार्मिंग के द्वारा सब्जियों की खेती करने लगे है. लो टनल फार्मिंग कम लागत और मेहनत में अधिक फायदा दे रही है. लो टनल फार्मिंग से 80 फीसद पानी की बचत होती है और फसलों को नुकसान भी नहीं होता.
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क्या है लो टनल फार्मिंग
प्लास्टिक लो-टनल एक से तीन महीने के लिए सब्जियों के ऊपर बनाई जाने वाली अस्थाई संरचना है. यह देखने में सुरंग की तरह लगती है. इसलिए इस संरचना को टनल कहा जाता है. लो-टनल संरचना को बनाने के लिए दो से तीन मीटर लंबी और एक सेमी मोटी जीआई लोहे की तार को अर्ध गोलाकार एक से डेढ़ मीटर चौड़े बेड पर दो मीटर की दूरी पर गाढ़ा जाता है. बने टनल के ऊपर 25-30 माइक्रोन की पारदर्शी पॉलीथीन सीट से पूरी तरह से ढक दिया जाता है. इस प्रकार ढाई से तीन फीट ऊंचाई की टनल बनकर तैयार हो जाती है.
प्लास्टिक लो-टनल मैदानी क्षेत्रों में लौकी, करेला, तोरई, खीरा, वर्गीय सभी सब्जियों की अगेती खेती को बढ़ावा देने के लिए अपनाई जाती है. लो टनल तकनीक अपनाना लाभकारी है. बेमौसम की सब्जियों के उत्पादन के लिए यह तकनीक बहुत उपयोगी है. फसल में रोग और कीट लगने की आशंका कम रहती है. इस संरक्षित खेती से उगाए गए फल, फूल और सब्जियों के उत्पादन व दूसरे कृषि कार्यों को वैज्ञानिक तरीके से सम्पन्न किया जाता है. शिक्षित युवाओं और युवतियों के लिए रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं हैं. बीज रोपने के बाद क्यारियों के ऊपर प्लास्टिक से इसे तैयार किया जाता है, जिससे फसल भी जल्दी तैयार होता है.
अगेती या बेमौसम की सब्जियों की खेती में इस विधि से तैयार फसलों का सबसे अधिक लाभ यह है कि किसान को मार्केट में अपनी उपज का अधिक मूल्य मिलता है. बागवानी विभाग द्वारा किसानों का लो टनल की फार्मिंग करने के लिए 35 हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान राशि प्रदान की जाती है.
गांव धतीर के किसान महेंद्र ने बताया कि 5 एकड़ में लो टनल फार्मिंग की जा रही है. बागवानी की सब्जियों में करेला, पेठा, तोरई की बुवाई की गई है. सरकार द्वारा लो टनल फार्मिंग करने पर अनुदान दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि किसान परंपरागत खेती को छोड़कर अब लो टनल फार्मिंग करने लगे हैं.
गांव किशोरपुर के किसान आनंद कुमार ने बताया कि करीब दस एकड़ जमीन में लो टनल लगाकर सब्जियों की खेती करनी शुरू कर दी है. लो टनल से सब्जियों का उत्पादन बढ़ता है. बाजार की मांग के अनुरूप फसल समय पर तैयार हो जाती है. सरकार द्वारा लो टनल लगाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है. किसान सरकार की योजना का लाभ उठाऐं और परंपरागत खेती को छोड़कर नकदी फसलों की खेती करें.