Haryana Kisan: सरसों की जगह पोर्टल पर हुआ गेहूं का रजिस्ट्रेशन, अब किसानों को फसल बेचने में आ रही है दिक्कत
Haryana Kisan: मोहना और बल्लभगढ़ की मंडियों में चारों तरफ गेहूं ही गेहूं पड़ा हुआ है. पास के क्षेत्र से मंडी में आए हुए किसान ने बताया कि वह सरसों लेकर आए हैं. उन्होंने सरसों का रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन पटवारी की कमी की वजह से सरसों की फसल का रजिस्ट्रेशन नहीं करके गेहूं का रजिस्ट्रेशन कर दिया गया है.
Haryana Kisan: फरीदाबाद जिले की मंडियों में गेहूं की ढुलाई न होने के कारण अब किसानों को अनाज डालने में काफी परेशानी हो रही है. लाखों क्विंटल गेहूं खुले में पड़ा हुआ है. मौसम विभाग ने अगले तीन दिन में मौसम खराब होने की आशंका भी जताई है. यदि बारिश हो गई तो यह गेहूं भीग जाएगा और किसानों की मेहनत पर पूरी तरीके से पानी फिर जाएगा.
जिले में सबसे ज्यादा गेहूं मोहना और बल्लभगढ़ की मंडियों में आता है. अब दोनों मंडी में चारों तरफ गेहूं ही गेहूं पड़ा हुआ है. पास के क्षेत्र से मंडी में आए हुए किसान ने बताया कि वह सरसों लेकर आए हैं. उन्होंने सरसों का रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन पटवारी की कमी की वजह से सरसों की फसल का रजिस्ट्रेशन नहीं करके गेहूं का रजिस्ट्रेशन कर दिया गया है.
सरकार की तरफ से सरसों का MSP रेट 5650 है, लेकिन प्राइवेट कंपनी द्वारा 4700 तक सरसों की खरीद हो रही है. इस समस्या की शिकायत के लिए हम एसडीएम पटवारी तहसीलदार के पास भी गए थे, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की. तो वही, मार्केट कमेटी बल्लबगढ़ के असिस्टेंट सेक्रेटरी दीपक दीक्षित ने बताया कि बल्लभगढ़ मंडी में हालत अब ठीक है.
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उन्होंने बताया कि गेहूं की खरीद बहुत अच्छे से हो रही है. इसके अलावा सरसों बहुत अच्छे से खरीदी जा रही है. किसानों को कोई समस्या नहीं आ रही. किसानों की सहायता के लिए दो सहायता केंद्र बनाए गए हैं. किसानों ने इस बार रजिस्ट्रेशन कम करवाया है. पोर्टल खुला हुआ है. लगभग 95000 क्विंटल गेहूं खरीदा जा चुका है.
तो वहीं, बल्लभगढ़ की अनाज मंडी के आडती नरेश बंसल ने बताया कि मंडी में इस समय सबसे बड़ी समस्या लिफ्टिंग की आ रही है. सरकार ने अभी तक ट्रांसपोर्टेशन के टेंडर जारी नहीं किए हैं. इसलिए जगह-जगह गेहूं के कट्टे भरे हुए दिखाई दे रहे हैं. अगर जल्दी समस्या का समाधान नहीं हो पता तो बड़ी समस्या हो जाएगी क्योंकि मौसम विभाग की तरफ से भी बारिश की चेतावनी दी गई है. खुले में गेहूं पड़ा हुआ है. शेड के नीचे भी इतनी क्षमता नहीं है जहां इन गेहूं के कट्टों को रखा जा सके.
(इनपुटः अमित चौधरी)