Haryana News: हरियाणा में 2006 के बाद पक्के कर्मचारियों को मिलेगा OPS का लाभ, चुनाव से पहले मिली बड़ी खुशखबरी
Old Pension Scheme: हाईकोर्ट ने सरकार की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कर्मचारी को दो दशक की सेवा के बाद नियमित किया गया. यदि अब उनकी नियमित होने से पूर्व की सेवा को नहीं जोड़ा गया तो यह न्याय के गर्भपात करने जैसा होगा.
Haryana News: हरियाणा के विभिन्न जिलों में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर पिछले काफी समय कर्मचारी प्रदर्शन करते रहे हैं. ऐसे में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक फैसले ने कर्मचारियों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है. अब हरियाणा में 2006 के बाद से पक्के होने वाले कर्मचारी भी OPS तहत पेंशन के हकदार होंगे.
हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद से अब सीधे-सीधे 5 हजार से अधिक रिटायर्ड कर्मियों को भी इसका फायदा मिलेगा. दरअसल यह मामला रोहतक के जयभगवान की याचिका डाले जाने के बाद शुरू हुआ था. जयभगवान ने 2012 तक शिक्षा विभाग में बतौर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 20 साल तक काम किया. इसके बाद 2012 में उन्हें नियमित किया गया और 2015 में वह रिटायर हो गए. लेकिन उनके पुराने सेवाकाल को पुरानी पेंशन से नहीं जोड़ा गया. बाद में उनकी याचिका पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 2019 में अपना फैसला सुनाया. सिंगल बेंच ने जयभगवान के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था.
सरकार ने अपील में दी यह दलील
हाईकोर्ट में सरकार ने अपनी दलील में कहा कि स्कूलों में लोगों को प्रिंसिपल की तरफ से सिर्फ कुछ घंटों के लिए रखा जाता था. यह कार्य पूरे दिन का नहीं, सिर्फ 3 से 4 घंटे का होता था. इसलिए इन्हें न तो डेली वेजर मान सकते और न ही नियमित होने से पहले की सेवा की गणना पेंशन के लिए की जानी चाहिए. इन कर्मचारियों को नियमित होने की तिथि के दौरान लागू पेंशन स्कीम का लाभ दिया जा सकता है.
न्याय का गर्भपात करने जैसा होगा यह
हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की इस अपील को खारिज करते हुए कहा कि कर्मचारियो को दो दशक की सेवा के बाद नियमित किया गया. यदि अब उनकी नियमित होने से पूर्व की सेवा को नहीं जोड़ा गया तो यह न्याय के गर्भपात करने जैसा होगा. इन कर्मचारियों को सेवा लेने की तिथि के आधार पर पेंशन का लाभ दिया जाना चाहिए न कि नियमित होने की तिथि पर.
देश में हर कोई बेरोजगारी से परिचित है
हाईकोर्ट ने कहा कि देश में हर कोई बेरोजगारी से परिचित है. लोग थोड़े पैसे के लिए भी पार्ट टाइम नौकरी तक करने के लिए तैयार हो जाते हैं. राज्य आदर्श नियोक्ता होता है. ऐसे में हरियाणा सरकार द्वारा नागरिकों के उत्पीड़न की अपेक्षा नहीं की जाती है. सिर्फ कुछ पैसों का भुगतान करके नागरिकों को नियमित नियुक्ति से वंचित रखना उनका उत्पीड़न है.
एडहॉक नियुक्तियां कर राज्य अपनी शक्तियों का पूरी तरह से दुरुपयोग कर रहा है और ऐसा करना अर्थिक न्याय का उल्लंघन होगा. हाईकोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार कच्चे कर्मचारियों को रखने की नीति के संशोधन पर विचार करे.