नवीन शर्मा/चंडीगढ़ः पंजाब हरियाणा के बीच जहां पहले ही लंबे समय से तमाम विवाद चल रहे हैं. चाहे वो चंडीगढ़ पर अधिकार को लेकर हो या फिर SYL मुद्दे को लेकर हो, लेकिन इस समय जो विवाद सबसे ज्यादा गरमाया हुआ है वो है हरियाणा सरकार की तरफ से हरियाणा की विधानसभा भवन के निर्माण के लिए चंडीगढ़ में एक अलग जमीन की मांग का. दरअसल, यह मुद्दा इस साल तब गरमाना शुरू हुआ. जब जयपुर में जुलाई माह में नार्थ जोन कौंसिल की मीटिंग होती है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

9 जुलाई को उस मीटिंग में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल हरियाणा विधानसभा के अलग भवन के निर्माण के लिए चंडीगढ़ में अलग जमीन की मांग करते हैं और गृह मंत्री अमित शाह उस पर हामी भर देते हैं, जिसके बाद पंजाब के विभिन्न राजनीतिक दलों के तमाम नेताओं की तलख प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं और हाल ही में फिर यह मुद्दा गर्माता हुआ दिखाई दे रहा है. जब हरियाणा सरकार चंडीगढ़ यू टी प्रशासन को इस जमीन के लिए लैंड ऑफ एक्सचेंज का पुरपोजल भेजते हैं जिसके साथ ही पंजाब बीके हर राजनीतिक दल से तलख प्रतिक्रियाओं का दौर फिर से शुरू हो जाता है.


अकाली दल का डेलिगेशन पंजाब गोवर्नर जो यू टी चंडीगढ़ के प्रशासन भी हैं और हरियाणा सरकार के यू टी को भेजे पुरपोजल को न मानने का आग्रह करते हैं. इसके इलावा नेता विपक्ष प्रताप बाजवा भी प्रधानमंत्री मोदी को इसके विरोध करते हैं. यहां तक कि भाजपा में शामिल हो चुके सुनील जाखड़ भी इसे सही नहीं ठहराते है. तमाम पंजाब के नेता कहते हैं कि हरियाणा इसके जरिए चंडीगढ़ पर अपना हक जताने की कोशिश कर रहा है.


इस मुद्दे पर हमने हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता से बातचीत की है, जिसमें उन्होंने कहा कि पंजाब के नेता बेवजहा इसे मुद्दा बना रहे हैं. जबकि, समय के साथ हरियाणा के विधानसभा मेम्बरों की संख्या पहले भी बढ़ी है और आगे भी 2026 तक 20 से 25 और बढ़ेगी, लेकिन 2 भी संख्या और हम बढ़ाना चाहे तो उन्हें बैठाने के लिए हमारे पास मौजूदा विधानसभा भवन में जगह नहीं है. सिर्फ इसलिए हम अलग विधानसभा बनाना चाह रहे हैं.


इस पर जब हमने ज्ञान चंद गुप्ता से पूछा कि कई पंजाब के नेता कह रहे हैं कि जहां आप चंडीगढ़ में रेलवे स्टेशन के पास जगह मांग रहे हो उससे कुछ दूरी पर पंचकूला है. वहां क्यों नहीं अलग विधानसभा बना लेते इस पर गुप्ता ने कहा कि चंडीगढ़ में बनाना क्या गलत है. अगर वो इसको लेकर हम पर आरोप लगा रहे हैं. हम चंडीगढ़ पर अधिकार जमा रहे हैं. तब क्या पंजाब को सचिवालय में कम जगह लगी तो इन्होंने भी अलग मिनी सचिवालय चंडीगढ़ में बनाया तो क्या यह अपना राईट establish करने को करते हैं.


जाखड़ ने जो कहा था पंजाब की जो विधानसभा में कैपिटल कॉम्प्लेक्स में ही है. उसका इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि बहुत कम समय के लिए सत्र होते हैं. इस पर गुप्ता ने कहा कि यह संभव ही नहीं है जो जाखड़ कह रहे हैं. इसके इलावा जो आर्टिकल 3 के उलंग्न की बात अकाली दल कह रहा है कि प्रदेशों की यू टी की बाउंडरी सिर्फ पार्लियामेंट चेंज कर सकती है. हरियाणा सरकार लैंड ऑफ एक्सचेंज पुरपोजल भेजकर कंनून का उलंग्न कर रही है पर गुप्ता ने कहा कि लैंड एक्सचेंज से कोई बाउंडरी चेंज नहीं हो रही यह पहले भी होता है.


एक बार तो गुप्ता ने इतना भी कह दिया था कि अगर कभी पंजाब को चंडीगढ़ मिल भी जाता है तो यह जमीन भी उनके पास ही चले जाएगी. यह क्यों ऐसा कर रहे हैं, लेकिन फिर गुप्ता ने कहा भी दिया कि वैसे ऐसा होने नहीं वाला और जो ला आर्डर का जो वास्ता यह दे रहे हैं. तो अपने प्रदेश में यह संभालना अपनी-अपनी सरकार की जिम्मेवारी है. यू टी ने लैंड एक्सचेंज ऑफर पर मोहर लगा दी है या नहीं इसका जवाब देने से गुप्ता बचते हुए नजर आए.