Delhi News: क्या आप भी भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल साइट के पास की डेयरी का पी रहे दूध? HC ने दिया ये आदेश
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Delhi News: क्या आप भी भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल साइट के पास की डेयरी का पी रहे दूध? HC ने दिया ये आदेश

Delhi HC News: राजधानी दिल्ली में कुछ चुनिंदा जगहों पर डेयरी फार्मिंग करने की अनुमति सरकार द्वारा दी गई थी, जिनमें से एक भलस्वा इलाक है. जहां पर भलस्वा डेरी बसाई गई है. गाजीपुर लैंड फील्ड साइड के पास भी एक डायरी बसाई गई है.

 

Delhi News: क्या आप भी भलस्वा और गाजीपुर लैंडफिल साइट के पास की डेयरी का पी रहे दूध? HC ने दिया ये आदेश

Delhi News: क्या आपको पता है कि जो दूध खरीदकर आप हर रोज अपने घर ला रहे हैं, वो परिवार के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है भी या नहीं. दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रदूषण की वजह से दुधारू पशुओं और उनका दूध पीने वालों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताते हुए भलस्वा लैंडफिल साइट और गाजीपुर लैंडफिल साइट (Ghazipur Landfill Site) के पास मौजूद डेयरी को रीलोकेट करने का आदेश दिया है. 

मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि भलस्वा लैंडफिल साइट (Bhalswa Landfill Site)  के नजदीक बसी डेयरी का दूध पीने लायक नहीं है. यहां फैलने वाले पॉल्यूशन से मवेशियों के साथ-साथ दूध पीने वाले लोगों को भी नुकसान हो रहा है. हाईकोर्ट का कहना है जिन जगहों पर सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम, बायोगैस आदि की समुचित सुविधा नहीं है, वहां दूध की डेयरी नहीं होनी चाहिए.

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डेयरियों के पर्याप्त व्यवस्था हो 
सरकार ने दिल्ली में कुछ चुनिंदा जगहों पर डेयरी फार्मिंग करने की अनुमति दी थी, जिनमें से एक भलस्वा इलाका भी है. यहां के अलावा गाजीपुर लैंडफिल साइट के पास भी डेयरी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने इन दोनों ही डेयरी को यहां से दूसरे स्थान पर ले जाने का आदेश दिया है.कोर्ट ने सख्ती दिखते हुए कहा कि तुरंत इस पर अमल किया जाए. हाईकोर्ट ने कहा कि भलस्वा लैंड और गाजीपुर लैंडफिल साइट के आसपास प्रदूषण काफी ज्यादा है. इसका असर मवेशियों पर भी पड़ रहा है. अदालत का कहना है कि लैंडफिल साइट के पास मौजजूद डेयरियों को उन इलाकों से रीलोकेट किया जाना चाहिए, जहां प्रॉपर सीवरेज, ड्रेनेज सिस्टम, बायोगैस प्लांट, मवेशियों के लिए घूमने की जगह और चारा खाने की पर्याप्त खुली जगह नहीं है.

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कोर्ट के फैसले पर स्थानीय लोग बोले 
कोर्ट के फैसले के बाद स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में 10% ही डेयरियां बची हैं. बाकी जगहों पर रिहायशी इलाके बस चुके हैं. हाईकोर्ट को जो रिपोर्ट दी गई है, वह खुले में घूम रही गायों को देखकर दी गई है, जबकि पशुपालन और डेयरी चलाने वाले लोग अपने मवेशियों के चारे और रहने का इंतजाम अपनी जगह पर करते हैं. उनकी गाय लैंडफिल साइट के आसपास कहीं भी घूमती हुई नहीं दिखेंगी.

इनपुट- नसीम अहमद

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