Yamunanagar: खेतों में बिजली की हाई टेंशन तारों को लेकर किसान और प्रशासन आमने-सामने
यमुनानगर जिले के सुढल-सढेल गांव में आज किसान और प्रशासन आमने-सामने हो गया. खेत में हाईटेंशन टावर लगाने को लेकर किसान बिजली विभाग से खफा है. आज जैसे ही बिजली विभाग के कर्मचारी टावर लगाने के लिए पहुंचे तो किसानों ने उसका विरोध किया और काम को रुकवा दिया.
यमुनानगर जिले के गांव सुढल-सढेल किसान और प्रशासन एक बार फिर आमने-सामने हुआ. मामला खेत में लगने वाले हाइट टेंशन टावर को लेकर है. किसानों की मांग है कि उन्हें उचित मुआवजा मिले तभी हम अपने खेत में टावर लगाने देंगे, जैसी ही बिजली विभाग के कर्मचारी जेसीबी लेकर किसान नेता हरपाल के खेतों में पहुंचे. तो वह तुरंत मौके पर आ गए. हालांकि कुछ देर तक तो ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने उन्हें खेत में भी घुसने नहीं दिया, लेकिन इसके थोड़ी देर बाद भारी संख्या में किसान मौके पर पहुंचे.
जेसीबी द्वारा खोदे जा रहे गड्ढे के काम को रुकवाया. पीड़ित किसान हरपाल ने कहा इस मुद्दे को लेकर कल ही डीसी से मेरी बातचीत हुई है. उन्हें मुझे आश्वासन दिया था कि जब तक भिवानी के किसानों के मसले पर कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक आपके खेत में हाईटेंशन टावर नहीं लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भी मेरे खेत में प्रशासन की तरफ से जमीन में गहरे गड्ढे कर दिए गए. मेरी फसल को भी से नुकसान हुआ है. भारतीय किसान यूनियन के जिला प्रधान संजू गुंदियाना ने कहा कि प्रशासन जबरन यहां पर गड्ढे खोद रहा है. हम भिवानी से आने वाले कलेक्ट्रेट रेट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि प्रशासन की तरफ से जो कलेक्ट्रेट दिया जा रहा है. वह भेद काम है. यहां का कलेक्टर रेट 60 लाख से 80 लाख है. अगर हमें यह कलेक्ट्रेट नहीं मिलता तो हम यहां पर धरना जारी रखेंगे.
बिजली विभाग के एसडीओ मनदीप ने कहा की हुड्डा सेक्टर 18 से बकाना तक हाईटेंशन टावर लगाने हैं. इसी को लगाने के लिए हम यहां पर पहुंचे थे, लेकिन किसानों ने इस काम को रुकवा दिया है. फिलहाल हम कल तक का इंतजार करेंगे उसके बाद आगे का फैसला लिया जाएगा.
किसानों की मांग है कि अगर हमारी जमीन में हाईटेंशन टावर लगाए जा रहे हैं. तो उसका काम से कम उचित मुआवजा मिले, लेकिन प्रशासन इस काम में जल्दबाजी कर रहा है. हमें भिवानी में आने वाले कलेक्ट्रेट रेट को लेकर जो फैसला आना उसका इंतजार कर रहे हैं. हम सरकार से कम मुआवजा नहीं लेंगे इसके लिए चाहे हमें फांसी पर ही क्यों ना चढ़ना पड़े.
Kulwant Singh