शेखों के शहर Dubai में अब गूंजेंगी मंदिर की घंटियां, पहला मंदिर बनकर तैयार
दुबई में पहला हिंदु मंदिर बनकर तैयार हो चुका है. जिसको आज यानी दशहरे के दिन आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. इसका उद्घाटन मंगलवार रात को कर दिया गया और आज श्रद्धालुओं ने इस मंदिर में 16 देवी-देवताओं के दर्शन किए.
Dubai Temple: दुबई में पहला हिंदु मंदिर बनकर तैयार हो चुका है. जिसको आज यानी दशहरे के दिन आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. इसका उद्घाटन मंगलवार रात को कर दिया गया और आज श्रद्धालुओं ने इस मंदिर में 16 देवी-देवताओं के दर्शन किए. इस मंदिर के निर्माण में UAE के रूलर्स और कम्युनिटी डेपलपमेंट अथॉरिटी ने अहम भूमिका निभाई है. दुबई में इस मंदिर के निर्माण पर लगभग 550 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. दुबई में मंदिर के निर्माण होने की वजह से यहां हिंदी के साथ अरबी में भी निर्देश लिखे गए हैं.
UAE के कैबिनेट मिनिस्टर ने किया उद्घाटन
मंदिर का उद्घाटन UAE के कैबिनेट मिनिस्टर शेख नह्यान बिन मुबारक अल नह्यान ने किया. UAE में भारत के एम्बेसेडर संजय सुधीर भी इस मौके पर मौजूद रहें. उद्घाटन समारोह में कई धर्मों के धर्मगुरू को बुलाया गया था. इस मंदिर में कुल 16 देवी देवताओं की प्रतिमाओं को स्थापित किया गया है. इन प्रतिमाओं की विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा की गई. मंदिर के उदघाटन के बाद श्रद्धालु भगवान की इन प्रतिमाओं के दर्शन करने पहुंचे.
दुबई के वर्शिप विलेज में बना मंदिर
यह मंदिर दुबई के जाबेल अली एरिया में स्थित है. इस इलाके को ‘वर्शिप विलेज’ या पूजा गांव भी कहा जाता है. इस इलाके को वर्शिप विलेज इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां 6 चर्च और सिख का गुरू नानक दरबार गुरुद्वारा भी है और इसमें मंदिर में शामिल हो चुका है.
बेहद खुबसूरत मंदिर का आर्किटेक्चर
इस मंदिर का आर्किटेक्चर किसी आलिशान होटल से कम नहीं है. इसको देखने के बाद आपको लगेगा ही नहीं कि ये एक मंदिर है. यहां एक बड़ा प्रार्थना सभागार है. जहां ज्यादातर देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की गई है. इसकी सफेद दीवारों पर 3D प्रिंट वाला गुलाबी रंग का कमल फूल बनाया गया है. मंदिर की छत पर पीतल की सैकड़ों घंटियां लगी है जो कि मंदिर के हर कोने से ये घंटियां नजर आती हैं.
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मंदिर में ज्यादातर हिस्से को सफेद संगमरमर से तैयार किया गया है, लेकिन कई जगहों पर काले संगमरमर का इस्तेमाल भी किया गया है. मूर्तियां भारत के जयपुर, कन्याकुमारी और मदुरई के कुशल कारीगरों ने तराशी हैं. अंदर के पिलर्स की डिजाइन गुजरात के सोमनाथ मंदिर से प्रेरित है. इसका शिखर पूरी तरह पीतल से बना है जो हिंदू मंदिर के नागर शैली से प्रेरित हैं और इसको काफी दूर से भी देखा जा सकता है.
पूरी तरह से डिजिटल है यह मंदिर
मंदिर में एंट्री सिर्फ QR-code बेस्ड अपॉइंटमेंट बुकिंग सिस्टम से होगी. यहां डिजिटल लाइब्रेरी भी है और साथ ही मंदिर के प्रबंधकों द्वारा वैदिक भाषा से जुड़ी जानकारी के लिए फिजिकल और ऑनलाइन क्लासेज भी ऑर्गनाइज की जाएंगी. जरूरतमंदों की मदद के लिए मेडिकल और एजुकेशनल फेसेलिटीज भी यहां मौजूद है.