खेदड़ थर्मल प्लांट : ग्रामीणों ने किया ऐलान, जब तक मांगें नहीं मानी जातीं, नहीं करेंगे साथी का अंतिम संस्कार
हिसार में सारा विवाद उस समय शुरू हुआ, जब प्लांट के अधिकारियों ने मुफ्त में राख देने से इनकार कर दिया. इसके पहले तक प्लांट की राख गोशाला को दी जाती है. किसानों का आरोप है कि कंपनी राख को अब बेचना चाहती है.
रोहित कुमार/ हिसार : खेदड़ थर्मल प्लांट की राख को लेकर शुक्रवार को जमकर बवाल हुआ था. इस दौरान एक ग्रामीण धर्मपाल सहारण की मौत से नाराज किसानों ने शनिवार को बड़ा ऐलान कर दिया. धरनारत ग्रामीणों ने कहा कि जब तक उनकी सभी मांगें नहीं मानी जाती, तब तक वे धर्मपाल का दाह संस्कार नहीं करेंगे. दिनभर आज गहमा गहमी का माहौल रहा. किसान नेता राकेश टिकैत, गुरनाम चढूनी, कामरेड इंद्रजीत, सुरेश कौथ सहित कई किसान खेदड़ में मौजूद रहे.
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किसानों ने धर्मपाल सहारण के परिवार को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है। इसके अलावा कल गिरफ्तार किए गए सभी आंदोलनकारियों को बिना शर्त रिहा करने की मांग की. बताया जा रहा है कि बरवाला पुलिस ने कल के विवाद के बाद 10 किसानों पर नामजद और करीब 800 अज्ञात किसानों पर केस दर्ज किया है.
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धरनारत किसानों ने कहा कि जिन आंदोलनकारियों पर निराधार मुकदमे दर्ज किए गए हैं, वह तुरंत प्रभाव से रद्द किए जाएं. आज खेदड़ गांव की धरना कमेटी और सभी किसान संगठनों के प्रतिनिधि, टोलो और खापों के प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक हुई और सर्वसहमति से 15 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया. संयुक्त किसान मोर्चा के तीन नेता राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढ़ूनी और कामरेड इंद्रजीत सिंह को आमंत्रित सदस्य के तौर पर रखा गया.
शाम को सरकार की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने किसानों के साथ बातचीत शुरू की.आंदोलनकारियों ने कहा कि प्रशासन जानबूझकर टाल-मटोल कर रहा है. पुलिस ने धर्मपाल की मौत ट्रैक्टर के नीचे आने से बताई है, ये बिल्कुल झूठ है. धर्मपाल की मौत पुलिस के लाठीचार्ज में हुई. पोस्टमॉर्टम करते वक्त हमारा एक साथी अंदर गया था और पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी भी हुई है. धर्मपाल की बॉडी पर कोई और जगह निशान नहीं मिला. सिर के पीछे पुलिस के डंडे लगने से धर्मपाल की मौत हुई है. किसानों ने कहा कि ट्रैक्टर के नीचे जिस व्यक्ति के आने की फोटो मीडिया में जारी की गई है, वह शख्स तो जिंदा है, इस बात का उनके पास सबूत है.
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दरअसल ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें प्लांट से पहले की तरह राख मुफ्त दी जाए. यह राख ईंट बनाने में इस्तेमाल होती है. अब प्लांट के अधिकारियों ने यह कहते हुए राख देने से इनकार कर दिया है कि बिजली मंत्रालय ने राख को टेंडर के जरिए बेचने का प्रस्ताव पास कर दिया है. किसानों का कहना है कि इससे खेदड़ गोशाला को होने वाली आय बंद हो जाएगी और और यहां रखी गायों का पालन पोषण करने में समस्या होगी.