IRCTC साइट हैक कर बुक करते थे टिकट, रेलवे ने 37 लाख यूजर आईडी को किया बैन
हम आप अक्सर ऑनलाइन टिकटें बुक करते हैं, लेकिन बहुत कम ही होता है कि कंफर्म टिकट मिल जाए. लेकिन अगर यही टिकटें एजेंट से बुक करवाते हैं तो वो कंफर्म टिकट बनाकर दे देता है. दरअसल वो ऐसा रेलवे के सिस्टम में सेंधमारी करके करते हैं. रेलवे ने खुद इस बात को माना है.
नई दिल्ली: हम आप अक्सर ऑनलाइन टिकटें बुक करते हैं, लेकिन बहुत कम ही होता है कि कंफर्म टिकट मिल जाए. लेकिन अगर यही टिकटें एजेंट से बुक करवाते हैं तो वो कंफर्म टिकट बनाकर दे देता है. दरअसल वो ऐसा रेलवे के सिस्टम में सेंधमारी करके करते हैं. रेलवे ने खुद इस बात को माना है. इस समस्या से जूझ रही रेलवे ने ऐसे 37 लाख यूजर आईडी को रद्द किया है. इन सारी यूजर आईडी से रेलवे के सिस्टम में सेंधमारी करके कंफर्म टिकट बुक किए जा रहे थे.
रेलवे की तमाम कार्रवाई के बाद भी दलालों की सेंधमारी नहीं थम रही है. रेलवे ने पिछले सात सालों में रिकॉर्ड 37 लाख से अधिक निजी यूजर आईडी रद्द किए हैं. यानी दलाल, एजेंट एवं छोटे व्यापारी रेलवे की वेबसाइट में व्यक्तिगत यूजर आईडी बनाकर कन्फर्म टिकटों की कालाबाजारी कर रहे हैं. भाजपा नेता राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता वाली रेल संबंधी स्थायी समिति ने गत 4 अगस्त 2022 को संसद में पेश रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया. विभाग ने अपने जवाब में कहा कि क्रिस (CRIS) व आरपीएफ (RPF) और आईआरसीटीसी के आईटी एंटी फ्रॉड सेल उपयोगकर्ता की शिकायत व जांच के आधार पर निजी यूजर का आईडी रद्द करते है.
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इसमें रोजाना ई-टिकट की बुकिंग की निगरानी करना वेबसाइट पर लगातार हिट करने आदि गतिविधियों पर सेल नजर रखती है. विभाग ने बताया की 2015-16 से 2021-22 आईआरसीटीसी से 3744995 लाख निजी यूजर आईडी रद्द किए गए. इसमें 2019-20 में 1120236 और 2020-21 में 11622493 यूजर आईडी किए गए. इस पर समिति ने विभागीय कार्रवाई की प्रशंसा की गई पर अगले ही साल इनकी सख्ंया बढ़कर 1162493 हो गई. वहीं समिति ने कहा कि ई-टिकट बुंकिग में विभाग के भीतर समस्या है, जिसे जल्द ही दुरुस्त किया जाना चाहिए.
आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर आम जनता के लिए प्रतिदिन सुबह 8 बजे एडंवास रिजर्वेशन शुरू किया है. रिवर्जवेशन टिकट बुकिंग 10 बजे तत्काल टिकट बुकिंग व 11 बजे स्लीपर के लिए एडवांस रिजर्वेशन शुरू हो जाता है. इस दौरान आईआरसीटसी के लाखों सब-एजेंट वेबसाइट पर किसी भी प्रकार का टिकट बुकिंग करने पर प्रतिबंध है. इसके बावजूद भी एजेंट आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर सेंधमारी करते हैं.
इस कारण ही कन्फर्म टिकटें महज कुछ ही पलों में बुक हो जाती हैं और बहुत से रेल यात्रियों के हाथ सिर्फ वेटिंग टिकट ही लगता है. ये एजेंट कालाबाजारी करने के लिए आधुनिक सॉफ्टवेयर का प्रयोग करते हैं. यह आसानी से बाजारों में उपलब्ध है. इसमें यात्री का डाटा पहले ही दर्ज कर दिया जाता है. सॉफटवेयर से प्रतिबंध के बाद भी इस वेबसाइट में सेंध लगाना बहुत आसान है. सॉफ्टवेयर आईआरसीटीसी सर्वर में सीधा हिट करता है. वही आम यूजर्स ट्रांजेक्शन के चक्कर में फंस जाता है, उसका पेमेंट जब तक पूरा होता है, तत्काल के कोटे की सीटें भर जाती हैं, आम यात्रियों के हाथ सिर्फ वेटिंग या आरएसी की टिकटें लगती हैं.