Jhajjar: आंदोलन कर सकते हैं किसान, हाईटेंशन तारों के एवज में मुआवजे की मांग पर नहीं बनी सहमति
Jhajjar News: झज्जर के किसानों द्वारा उनकी जमीन से होकर जाने वाली 765 केवी की हाईटेंशन तारों के एवज में मुआवजे की मांग की जा रही है, जिसको लेकर आज उन्होंने चौथी बार डीसी से मुलाकात की. इस बार भी मुआवजे पर सहमति नहीं बन पाई.
Jhajjar News: राजस्थान से हरियाणा के खेतों के रास्ते से दिल्ली जाने वाली 765 केवी की हाईटेंशन तारों को लगाने के एवज में किसानों द्वारा मुआवजे की मांग की जा रही है. गुरूवार को झज्जर के करीब 22 गांवों के किसानों ने लघु सचिवालय पहुंचकर डीसी से मुलाकात की. जमीन पर लगी हाईटेंशन तारों के एवज में मुआवजे की मांग को लेकर किसानो और डीसी के बीच ये चौथे दौर की वार्ता थी, जिसमें कोई समाधान नहीं निकल पाया.
क्या है पूरा मामला
बिजली के हाईटेंशन तारों एवं ट्रांसफार्मरों को किसानों की जमीन पर लगाने के एवज में राज्य सरकार द्वारा उन्हें मुआवजा दिया जाता है. झज्जर के किसानों द्वारा भी उनकी जमीन से होकर जाने वाली 765 केवी की हाईटेंशन तारों के एवज में मुआवजे की मांग की जा रही है. हरियाणा सरकार द्वारा गुजरात और महाराष्ट्र की तर्ज पर मुआवजा दिए जाने की बात कही जा रही है. वहीं किसानों ने उपायुक्त के तर्क पर असहमति जताई और मुआवजा कर्नाटक सरकार की तर्ज पर दिए जाने की मांग की है.
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झज्जर के 22 गांवों के किसान मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन के लिए बनाई गई किसान-कामगार अधिकार मोर्चे के बैनर तले उपायुक्त से मिलने आए थे. जब उपायुक्त के साथ किसानों की सहमति नहीं बनी तो किसानों ने अगले सप्ताह इसी मामले को लेकर सीएम से मिलने की बात कही. इस दौरान किसानों ने लघु सचिवालय परिसर में नारेबाजी भी की.डीसी से मुलाकात के बाद किसान-कामगार अधिकार मोर्चे के सत्येन्द्र लोहचब ने बताया कि उपायु्क्त के साथ यह उनकी चौथी वार्ता थी, लेकिन इस वार्ता में भी किसानों की समस्या का कोई समाधान नहीं निकला. उन्होंने कहा कि किसान सर्कल रेट से नहीं बल्कि मार्किट रेट से अपनी जमीन का मुआवजा चाहते है, जो शासन-प्रशासन को मंजूर नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में उनका आंदोलन उग्र रूप लेता जा रहा है. आने वाले समय में वह अपने आंदोलन को ओर ज्यादा तेज करेंगे और विरोध में कड़ा फैसले भी लेंगे. लोहचब के अनुसार, अगले हफ्ते इसी मामले में उनकी सीएम के साथ वार्ता है. यदि उस वार्ता में समाधान नहीं निकलता है तो आगे आंदोलन उग्र रूप ले सकता है.
Input- Sumit Tharan