Jhajjar News: प्रदेश के श्रम एवं रोजगार मंत्री अनूप धानक ने रात के समय झज्जर जिले के बहादुरगढ़ की सड़कों पर होने वाली सफाई का औचक निरीक्षण किया. मंत्री अनूप धानक की गाड़ियों का काफिला रात के समय सड़कों पर काफी देर तक सड़कों पर दौड़ता नजर आया. इस दौरान मंत्री अनूप ने न सिर्फ सड़कों पर होने वाली सफाई व्यवस्था का जायजा लिया, बल्कि वह सेक्टर 9 स्थित महर्षि दयानंद पार्क में भी व्यवस्थाओं को देखने के लिए पहुंचे. यहां उन्होंने नगर परिषद के अधिकारियों को पार्कों में लाइट की उचित व्यवस्था कराने के आदेश भी दिए. रात के समय काफी संख्या में सफाई कर्मचारियों को देख कर यहां के स्थानीय निवासी भी काफी हैरान दिखाई दिए.


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प्रदेश के श्रम एवं रोजगार मंत्री अनूप धानक का यह दौरा औचक था, मगर उनके स्वागत के लिए नगर परिषद के आला अधिकारी, नगर परिषद चेयरपर्सन एवं जेजेपी और बीजेपी के नेता खड़े दिखाई दिए. रात के समय अनूप धानक ने गौरैया पर्यटन केंद्र से सफाई व्यवस्था का निरीक्षण शुरू किया. शहर के बीचो-बीच से गुजरने वाले दिल्ली-रोहतक रोड से होते हुए राज्यमंत्री अनूप पहले टिकरी बॉर्डर तक पहुंचे और उसके बाद नजफगढ़ रोड से होते हुए सेक्टर 9 की सड़कों पर गाड़ियों का काफिला दौड़ता रहा. मंत्री के दौरे की वजह से गंदगी के ढेर लगे रहने वाले कलेक्शन प्वाइंटों पर रात के समय कूड़े का उठान होता दिखाई दिया.


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मंत्री अनूप अनूप धानक ने रात के समय महर्षि दयानंद पार्क का जायजा लिया और यहां पर लाइटों की उचित व्यवस्था करवाने के आदेश नगर परिषद के अधिकारियों को दिए. रात में अंधेरा होने का हवाला देकर राज्य मंत्री अनूप धानक बहादुरगढ़ का कूड़ा डंपिंग ग्राउंड देखने नहीं गए. हालांकि, उन्होंने दो-तीन दिन बाद डंपिंग ग्राउंड का भी निरीक्षण करने की बात कही. रात के समय कूड़े का उठान और सफाई होती देख यहां के स्थानीय लोग हैरान तो हुए मगर कूड़े का उठान होने के चलते राहत की सांस भी ली.


हम आपको बता दें कि बहादुरगढ़ के वार्ड नंबर 1 से 10 के साथ सेक्टर 2,6,7,9 के क्षेत्र में स्वीपिंग एवं क्लीनिंग के ठेके पर प्रति माह करीब डेढ करोड रुपए खर्च होते हैं. इसके अलावा डोर टू डोर कूड़े का कलेक्शन, सेग्रीगेशन, ट्रांसपोर्टेशन व प्रोसेसिंग के ठेके पर हर महीने करीब 90 लाख रुपए का खर्च आता है. इसमें से एक ठेका 30 अप्रैल को खत्म हो चुका है, जबकि दूसरा 30 जून को पूरा हो चुका है. नगर परिषद बोर्ड द्वारा इन दोनों ठेकों को समय विस्तार दिया जा चुका है. इसके अलावा नालों की सफाई पर भी करीब 25 लाख रुपए का अतिरिक्त खर्च आता है. आउटसोर्सिंग व सफाई कर्मियों के वेतन पर भी करीब 50 लाख रुपए महीना खर्च होते हैं, मगर आमतौर पर शहर में चारों तरफ कूड़े के ढेर लगे दिखाई देते है. वहीं शहर में होने वाली इस सफाई के काम पर विपक्ष द्वारा घोटाले के आरोप भी अधिकारियों और सत्ता पक्ष पर लगाए जाते रहे हैं.


Input- Sumit Tharan