JNU में दाखिले के इच्छुक छात्रों के लिए बड़ी खुशखबरी, इस नियम से आसानी से मिलेगा एडमिशन
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी ने बताया कि जेएनयू पीएचडी छात्रों के लिए अपनी दाखिला नीति को बदलने जा रहे है. उन्होंने आगे बताया कि डेप्रिवेशन प्वाइंट मॉडल को फिर से लागू करने की योजना बनाई जा रही है.
नई दिल्लीः जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में दाखिले की प्रक्रिया के नियम बदलने जा रहे हैं. इस नियम के लागू होने के बाद आरक्षित वर्ग के छात्रों को फायदा मिलेगा. जेएनयू की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी ने बताया कि जेएनयू पीएचडी छात्रों के लिए अपनी दाखिला नीति की सबसे अनूठी व्यवस्था डेप्रिवेशन प्वाइंट मॉडल को फिर से लागू करने की योजना बना रहा है. विश्वविद्यालय ने दाखिला लेने के लिए पिछड़े क्षेत्रों से आने वाले छात्रों, विशेषकर महिलाओं की मदद करने के लिए डेप्रिवेशन प्वाइंट मॉडल तैयार किया था. इसके बाद छात्रों के एक वर्ग की तरफ से आलोचना किए जाने के बीच, यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति एम जगदीश कुमार के नेतृत्व में इस मॉडल के इस्तेमाल को कुछ साल पहले बंद कर दिया था. कई छात्र और शिक्षक इस मॉडल को दोबारा शुरू करने की लंबे समय से मांग रहे हैं.
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समावेशिता एवं समानता के लिए ला रहे नियम
जेएनयू की कुलपति शांतिश्री ने बताया कि यूनिवर्सिटी समावेशिता एवं समानता के लिए डेप्रिवेशन प्वाइंट मॉडल को फिर से लागू कर रही है. उन्होंने बताया किहम पीएचडी (PhD) छात्रों के लिए डेप्रिवेशन प्वाइंट मॉडल’ को दोबारा ला रहे हैं. क्योंकि हमारी आरक्षित श्रेणियों की सीट भर नहीं पातीं हैं. उन्होंने कहा कि मैं एक आरक्षित वर्ग से आती हूं और मैं इसे लागू होते देखना चाहती हूं. विशेषकर आरक्षित वर्ग की महिलाओं के लिए. हम समावेशिता और समानता चाहते हैं. उन्होंने कहा कि पूरे देश में एकमात्र हमारा विश्वविद्यालय ऐसा है, जो ये डेप्रिवेशन प्वाइंट देता है और यही कारण है कि हम सबसे अलग हैं.
शांतिश्री ने कहा कि यूनिवर्सिटी हाइब्रिड शिक्षा को अपनाने पर विचार कर रही है और 130 करोड़ रुपये के घाटे को कम करने के मकसद से अपनी आय को बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि हम ई-लर्निंग या ऑनलाइन पढ़ाई को अपनाना चाहते हैं, क्योंकि हम 130 करोड़ रुपये के घाटे में हैं और हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि इस पूरे घाटे की भरपाई केंद्र करेगा.
हाइब्रिड पढ़ाई व्यवस्था को अपनाएंगे
शांतिश्री ने कहा कि हम जेएनयू को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं. जेएनयू कुछ बेहतरीन कार्यक्रमों का संचालन करता है, इसलिए हम हाइब्रिड पढ़ाई व्यवस्था को अपनाएंगे. हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करना चाहते हैं. हमें विदेशी विश्वविद्यालयों से बहुत सारे अनुरोध मिल रहे हैं.
परिसर में कथित यौन उत्पीड़न की घटनाओं की बढ़ती सूचनाओं के बारे में सवाल पूछे जाने पर शांतिश्री ने कहा कि उनका प्रशासन इस प्रकार के मामलों की जांच में बहुत अग्रसक्रिय रहा है. उन्होंने कहा कि जब भी आंतरिक शिकायत समिति (ICC) में कोई मामला आता है. हम उसे आगे लेकर जाते हैं.
लगेंगे सीसीटीवी (CCTV) कैमरे
कुलपति ने कहा कि यूनिवर्सिटी महिला छात्रावास में सीसीटीवी कैमरे लगाने और परिसर के चारों ओर 10 फुट ऊंची दीवार बनाने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने वर्तमान में परिसर की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार एजेंसी को बदलने के मकसद से एक नई सुरक्षा निविदा जारी की है. छात्र एवं शिक्षक नई सुरक्षा एजेंसी को लाने की प्रशासन से पूर्व में कई बार मांग कर चुके हैं.
कुलपति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) के कार्यान्वयन को लेकर कहा कि विश्वविद्यालय ने भारतीय भाषाओं के स्कूल को भाषा स्कूल से अलग कर दिया है और एक बहु प्रवेश एवं निकास प्रणाली के लिए प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. इससे छात्रों को पाठ्यक्रम बीच में छोड़ने और कुछ वर्षों के बाद भी इसे पूरा करने का मौका मिलेगा.
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