कमरजीत सिंह/करनाल : कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज के छात्र पिछले 24 दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं. आज उनके फेवर में रेजिडेंट डॉक्टर ने भी पत्रकार वार्ता की. इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर 48 घंटे में सरकार ने मांग नहीं मानी तो इमरजेंसी सेवाएं भी बंद करेंगे. हमने इससे पहले ओपीडी 1 घंटा 2 घंटा और 3 घंटे के लिए ओपीडी बंद की थी, लेकिन सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. आज हमने एलईडी वार्ड की सर्विस भी बंद रखी है. 


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डॉक्टर विक्रम ने बताया कि pen down किया हुआ है और आगे भी सरकार ने हमारी ओर ध्यान नहीं दिया तो हम इमरजेंसी सेवाएं भी बंद करेंगे.साथ ही हम टीचर से भी अनुरोध करेंगे कि वह भी छात्रों की समर्थन में आगे आएं.


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कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज की ओपीडी के बाहर बैठे हैं. छात्र कह रहे हैं कि रेजिडेंट डॉक्टर हमारे साथ हैं लेकिन जो मरीज कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज अपना इलाज कराने के लिए आ रहे हैं तो उनका कहना है कि हमें यहां पर हर तरह की सुविधा मिल रही हैं. डॉक्टर ने चेकअप किया है और दवाई भी मिल चुकी है.


गुरुवार को MBBS स्टूडेंट ने OPD के बाहर बैठकर तीन घंटे धरना दिया और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. हालांकि करनाल में आज OPD बंद का मिलाजुला असर दिखाई दिया. मेडिकल कॉलेज में जो इंटरनल डॉक्टर है. उनके द्वारा छात्रों को समर्थन दिया गया. जो छात्रों के साथ OPD छोड़कर उनके धरने पर बैठे. डॉक्टरों ने कहा कि अगर सरकार आज छात्रों की मांग को पूरा नहीं करती तो कल से OPD को पूर्ण रूप से बंद कर दिया जाएगा. कोई भी डॉक्टर OPD में मरीजों की जांच नहीं करेगा. 


बॉन्ड नीति का विरोध कर रहे छात्र
करनाल सहित पूरे प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के स्टूडेंट सरकार की नई बॉन्ड नीति का विरोध कर रहे हैं. गुरुवार को छात्रा की हड़ताल को 24 दिन बीत चुके हैं. पिछले 24 दिन से किसी छात्र ने पढ़ाई नहीं की, जिसका नुकसान छात्रों को ही हो रहा है. वहीं छात्रों का कहना है कि सरकार जब तक उनकी मांगों को पूरी नहीं करती, तब तक वह पीछे हटने वाले नहीं हैं.  आज अगर सरकार उनकी मांग नहीं मानती तो कल से OPD बंद कर दी जाएगी. 


OPD के बाहर बैठे छात्रों ने कहा कि 4 साल के कोर्स में उन्हें 40 लाख रुपये की फीस जमा करानी होगी. जो छात्र आर्थिक रूप से कमजोर हैं, वह MBBS का कोर्स नहीं कर पाएंगे, जिससे बॉन्ड नीति के खिलाफ MBBS के छात्रों में रोष है. छात्राओं ने सरकार से मांग की है कि बॉन्ड नीति को वापस लिया जाए, ताकि छात्र MBBS का कोर्स आसानी से कर सकें. छात्रों का कहना है कि शासन और प्रशासन उनकी आवाज को दबाने की कोशिश कर रहा है.