Karnal News: करनाल जिले के किसान फसल अवशेष प्रबंधन के तरीकों को तेजी से अपना रहे हैं. इसके पीछे जहां किसानों की जागरूकता हैं, वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों की मेहनत साफ तौर पर दिखाई देती हैं. कृषि विभाग के साथ साथ अन्य विभागों के अधिकारियों ने फील्ड में उतरकर न केवल किसानों को जागरूक किया, बल्कि पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने से भी गुरेज नहीं किया. कृषि विभाग के प्रयासों के बावजूद पराली जलाने के मामलों में पिछले साल की अपेक्षा करीब 60 प्रतिशत तक कमी दर्ज की गई है.


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विभाग से मिले आकड़ों के अनुसार इस वर्ष 112 फसल में आग लगने की सूचना मिली, इनमें से 22 जगहों पर आग लगने की वारदातें नहीं पाई गई. पिछले साल इन्हीं दिनों तक विभाग को 290 आग लगने की सूचनाएं मिली थी. विभाग द्वारा पराली जलाने वाले किसानों से करीब 2 लाख 37 हजार रुपये वसूला गया. इस वर्ष जिले में 99 प्रतिशत कटाई का कार्य पूरा हो चुका हैं, केवल 5 प्रतिशत धान कटाई या फिर फसल अवशेष प्रबंधन का कार्य बाकी है, जो जल्द ही पूरा हो जाएगा. किसानों ने जिले में करीब 4 लाख 25 हजार एकड़ में धान की फसल लगाई थी.


जिले में पराली जलाने के मामलों को बढ़ने से रोका जा सके, इसे देखते हुए कृषि विभाग सहित प्रशासन द्वारा 350 से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों को फील्ड में उतारा गया था, जिन्होंने किसानों को जागरूक किया. ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर कर सेमिनार व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए, जिसकी बदौलत पराली जलाने के मामलों में करीब 60 प्रतिशत तक कमी दर्ज की गई है.


यही नहीं किसानों ने प्रशासन का पूरा सहयोग किया है, कृषि विभाग के अधिकारी का दावा है कि आने वाले दिनों में पराली जलाने के मामले शून्य स्तर पर पहुंच जाएगे, क्योंकि किसान जागरूक हो चुका हैं, वो पराली जलाने से होने वाले नुकसानों को समझ चुका हैं.


उन्होंने कहा कि इस बार जिले में करीब 85 हजार मीट्रिक टन पराली की गांठे को आईसीयूएल द्वारा बनाए गए 6 डिपो पर किसानों ने बेचा, जिसका रेट 1890 रुपये प्रति एमटी निर्धारित किया गया था. उन्होंने कहा कि किसान लगातार फसल अवशेष प्रबंधन के तरीकों को अपना रहे हैं, नतीजन पराली जलाने के मामले लगतार घटे है.


Input: Kamarjeet Singh