Kisan Andolan 2024: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में प्रदर्शन कर रहे किसान समूहों ने सोमवार को कहा कि वे विकसित भूखंड और अतीत में अधिग्रहीत उनकी जमीन के लिए अधिक मुआवजे सहित अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए 23 फरवरी को दिल्ली मार्च करेंगे. महिलाओं सहित हजारों ग्रामीणों ने 8 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी के साथ लगती नोएडा की सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा के बीच दिल्ली जाने का असफल प्रयास किया था, जिससे शहर में यातायात अवरूद्ध हो गया था.


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उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने उस दिन मार्च वापस ले लिया था और वे पुलिस द्वारा स्थानीय अधिकारियों और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक का आश्वासन दिए जाने के बाद शांत हो गए थे. बड़ी संख्या में किसान विरोध प्रदर्शन के लिए सोमवार को ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए) के कार्यालय के बाहर एकत्र हुए और एक प्रमुख स्थानीय समूह भारतीय किसान परिषद (बीकेपी) ने 23 फरवरी को दिल्ली मार्च का आह्वान किया.


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बीकेपी ने एक बयान में कहा कि 13 फरवरी को सरकारी अधिकारियों द्वारा एक बैठक की गई थी और वहां यह निर्णय लिया गया था कि किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए 18 फरवरी तक एक उच्च-अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जाएगा, लेकिन आज तक कुछ भी नहीं हुआ है. किसान समूह ने चेतावनी देते हुए कहा कि अब प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से तीन दिन का समय और मांगा गया है, जिसे किसानों ने स्वीकार कर लिया है और कहा है कि अगर तब तक समाधान नहीं निकला तो किसान 23 फरवरी को दिल्ली मार्च करेंगे. नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसान दिसंबर, 2023 से स्थानीय विकास प्राधिकरणों द्वारा अधिग्रहीत अपनी भूमि के बदले अधिक मुआवजे और विकसित भूखंड देने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.


किसानों ने खारीज किया केंद्र का प्रस्ताव


‘दिल्ली चलो’ आंदोलन में भाग ले रहे किसान नेताओं ने सरकारी एजेंसियों द्वारा पांच साल तक दाल, मक्का और कपास की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को सोमवार को खारिज करते हुए कहा कि यह किसानों के हित में नहीं है तथा उन्होंने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी कूच करने की घोषणा की. किसान मजदूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने हरियाणा से लगे पंजाब के शंभू बॉर्डर पर मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि या तो हमारे मुद्दों का समाधान किया जाए या अवरोधक हटाकर हमें शांतिपूर्वक विरोध-प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली जाने की अनुमति दी जाए.


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MSP पर पांच वर्षीय समझौते का प्रस्ताव


किसानों के साथ वार्ता के बाद, तीन केंद्रीय मंत्रियों की एक समिति ने दाल, मक्का और कपास सरकारी एजेंसियों द्वारा MSP पर खरीदने के लिए पांच वर्षीय समझौते का प्रस्ताव दिया था. तीन केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय की समिति ने रविवार को चंडीगढ़ में चौथे दौर की वार्ता के दौरान किसानों के समक्ष यह प्रस्ताव रखा था. इससे पहले, 2020-21 में किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने सरकार के प्रस्ताव को सोमवार को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें किसानों की एमएसपी की मांग को ‘‘भटकाने और कमजोर करने’’ की कोशिश की गई है और वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में अनुशंसित एमएसपी के लिए 'सी -2 प्लस 50 प्रतिशत’ फूर्मला से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे.


किसानों को लूटा जा रहा है, जो हमें स्वीकार्य नहीं


डल्लेवाल ने कहा कि इससे किसानों को कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि किसान सभी 23 फसलों पर एमएसपी की मांग कर रहे है और एमएसपी कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों पर आधारित है. डल्लेवाल ने दावा किया कि सीएसीपी की सिफारिशों के आधार पर फसलों के मूल्य किसानों के लिए लाभकारी आय सुनिश्चित नहीं कर सकती. फिर भी वे एमएसपी पर कानून नहीं ला सके. इसका मतलब है कि किसानों को लूटा जा रहा है जो हमें स्वीकार्य नहीं है.


किसान नेताओं ने कहा कि बैठक में यह प्रस्ताव दिया गया था कि देश भर के किसानों से पांच फसलें खरीदी जाएंगी, लेकिन यह केवल उन लोगों के लिए है जो धान की फसल से परे विविधता लाते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या वे एसकेएम के साथ हाथ मिलाएंगे, पंधेर ने कहा कि अगर कोई आंदोलन में शामिल होना चाहता है, तो उन्हें किसानों और खेत मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ने का खुला निमंत्रण है. यह पूछे जाने पर कि यदि आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है तो किसान नेता आगे क्या कदम उठाएंगे.


इंटरनेट बंद होने से छात्रों को हो रही है परेशानी


डल्लेवाल ने कहा कि हम फिर बैठकर चर्चा करेंगे कि आंदोलन को कैसे आकार दिया जाए.’ पंजाब के कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन पर पंधेर ने कहा कि परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को परेशानी हो रही है. डल्लेवाल ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को बैठकों में आमंत्रित करने का मुख्य कारण राज्य की सीमाओं पर अवरोधक लगाए जाने का मुद्दा उठाना था और यह मुद्दा भी उठाना था कि पंजाब के लोगों को राज्य की सीमा के अंदर आंसू गैस के गोले का सामना करना पड़ रहा है.


हम अवरोध तोड़ना नहीं चाहते


उन्होंने कहा कि मान ने हमें स्थिति का संज्ञान लेने का आश्वासन दिया था, लेकिन उन्होंने अब तक ऐसा नहीं किया है. हरियाणा के डीजीपी ने एक बयान में कहा कि उन्होंने आंसू गैस या पेलेट गन का इस्तेमाल नहीं किया है. अगर ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया तो 400 लोग घायल कैसे हो गए? हरियाणा सरकार इस मामले पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है. डल्लेवाल और पंधेर दोनों ने कहा कि वे अवरोधक तोड़ना नहीं चाहते और दिल्ली की ओर शांतिपूर्वक बढ़ना चाहते है.


जनता विचार करेगी कि ऐसे लोगों को सत्ता में रहना चाहिए या नहीं


पंधेर ने कहा कि उन्होंने पहले जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए जगह मांगी थी, लेकिन सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया. हम केवल अपनी मांगें पूरी कराना चाहते हैं, लेकिन अगर सरकार नहीं सुनती है तो हम मजबूर हैं. एक तरफ किसान हैं, दूसरी तरफ जवान (पुलिस और अर्धसैनिक बल) हैं. हम हिंसा नहीं चाहते. अगर सरकार उत्पीड़न करती है, तो देश के लोग विचार करेंगे कि ऐसे लोगों को सत्ता में रहना चाहिए या नहीं.


किसानों के साथ रविवार रात चौथे दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ जैसी सहकारी समितियां अरहर दाल, उड़द दाल, मसूर दाल या मक्का का उत्पादन करने वाले किसानों के साथ एक अनुबंध करेंगी ताकि उनकी फसल को अगले पांच साल तक एमएसपी पर खरीदा जाए.


उन्होंने कहा कि खरीद की मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी और इसके लिए एक पोर्टल विकसित किया जाएगा.  गोयल ने यह भी प्रस्ताव दिया था कि भारतीय कपास निगम उनके साथ कानूनी समझौता करने के बाद पांच साल तक किसानों से एमएसपी पर कपास खरीदेगा. फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के वास्ते किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को सुरक्षा बलों द्वारा रोक दिए जाने के बाद प्रदर्शनकारी किसान हरियाणा-पंजाब की सीमा पर स्थित शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं.


 पिछले सप्ताह किसानों की सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुई थीं. किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने, 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘न्याय’, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 बहाल करने और 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.