Kurukshetra News: मंदिर की खुदाई में मिला महाभारत काल में बना प्राचीन कूआं, द्रौपदी ने धोए थे यहां खून से रंगे केश
Kurukshetra News: हरियाणा की धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में महाभारत कालीन प्राचीन विष्णु कूप मिला है. कहा जा रहा है कि द्रौपदी ने महाभारत युद्ध अपने खुले केश दुशासन के खून से रंगे थे और प्रतिज्ञा पूरी की थी. इसके बाद द्रौपदी ने अपने खुले केशों को इसी कूप में आकर धोया था.
Kurukshetra News: हरियाणा की धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में मिला प्राचीन विष्णु कूप (कुआं). महाभारत कालीन प्राचीन विष्णु कूप धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में प्राचीन सिद्ध लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में मिला 100 फुट गहरा कूप. धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में महाभारत के हजारों साल बाद भी महायुद्ध की कई निशानियां आज भी मौजूद हैं. धर्मानगरी कुरुक्षेत्र को विश्व प्रसिद्ध युद्ध की भूमि के नाम से जाना जाता है.
इसी स्थान पर महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की थी और कर्ण ने यहीं पर अभिमन्यु को धोखे से मारा था, जिससे वह वीरगति को प्राप्त हुआ. धर्मानगरी कुरुक्षेत्र के इसी स्थान पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश भी दिया था. रामनवमी के दिन आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोला जाएगा. महाभारत कालीन प्राचीन विष्णु कूप मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान मिला है.
कुरुक्षेत्र में युधिष्ठिर ने महाभारत में युद्ध के पश्चात बनवाए थे 4 कूप
1. चंद्रकूप- ब्रह्मसरोवर पर द्रौपदी कूप रोजाना इसी कुएं के जल से स्नान करती थी. द्रौपदी ने महाभारत युद्ध में भीम द्वारा दुशासन को मारने के बाद द्रौपदी ने अपने खुले केश दुशासन के खून से रंगे थे और प्रतिज्ञा पूरी की थी. इसके बाद द्रौपदी ने अपने खुले केशों को इसी कूप में आकर धोया था.
2. रुद्रकूप- महाभारत कालीन थानेश्वर महादेव मंदिर के अंदर
3. देवीकूप- शक्तिपीठ मां भद्रकाली मंदिर के अंदर
4. विष्णुकूप- हजारों वर्ष पुराने प्राचीन सिद्ध लक्ष्मी नारायण मंदिर के अंदर
मंदिर परिसर में चल रहे जीर्णोद्धार कार्य के दौरान विष्णु कूप मिला है. मंदिर के पुजारी स्वामी हरी नारायण गिरी महाराज ने बताया कि उन्हें पिछले काफी दिन से आ रहे थे कूप के सपने और आज वहीं कूप उनके मंदिर परिसर में मिला. कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व इतिहासकार प्रोफेसर डॉ. सुरेंद्र कुमार वशिष्ठ ने बताया कि विष्णु की गहराई 100 फुट से भी ज्यादा है और इसमें लगी हुई आईटी लाखोरी ईंट है जो प्राचीन मुस्लिम कालीन है, जिसका इतिहास में भी वर्णन मिलता है.
उन्होंने बताया कि उस समय के चूने की लिपाई भी इस पर है. इसकी ईंटें भी लाखोरी हैं. काफी गहरा कुआं है. प्राचीन समय में तट के पास स्थित विश्व विख्यात सन्निहित सरोवर के अंदर से इसमें जो जल आता था. उन्होंने बताया कि महाभारत युद्ध के पश्चात धर्मराज युधिष्ठिर ने चार कूप का निर्माण करवाया था, जिनमें से विश्व विख्यात सन्निहित सरोवर के तट पर प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर के अंदर विष्णु कूप मिला है और इसे विष्णु कूप इसलिए भी कहा जा रहा है, क्योंकि यह मंदिर भी भगवान विष्णु के नाम से विश्व विख्यात है.
(इनपुटः दर्शन कैत)