Kurukshetra News: कुरुक्षेत्र में भारतीय किसान यूनियन राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में किसानों ने कुरुक्षेत्र लघु सचिवालय के सामने प्रदर्शन किया और एसडीएम को केंद्र और राज्य सरकार के नाम ज्ञापन सौंपकर धान की खरीद जल्द शुरू करने की मांग की. इस मौके पर पंचायत भवन से डीसी ऑफिस तक किसानों ने रोष मार्च निकाला.


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लघु सचिवालय के सामने उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए बीकेयू नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने सरकार को अल्टीमेटम दिया कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो इस बार हाइवे जाम नहीं करेंगे बल्कि हाइवे उखाड़ देंगे.


एसडीएम सुरेन्द्र पाल ने ज्ञापन लिया और प्रदर्शनकारी किसानों को आश्वासन दिया. इस मौके पर गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि बाढ़ से प्रभावित सभी को मुआवजा तुरंत दिया जाए, जिसमे 5 एकड़ की तय सीमा को तुरंत हटाया जाए. जिस किसान को जितनी फसल खराब हुई है उसका पूरा मुआवजा दिया जाए और फसल खराबा 30000 प्रति एकड़ किया जाए. 


साथ ही कहा कि इसके अलावा बाढ़ के कारण खराब हुए ट्यूबवेल का मुआवजा दिया जाए. ट्यूबवेल को दो लाख रुपये प्रति बोरवाल व जिस किसान की मोटर बीच में फस गई है उन्हें तीन लाख रुपये प्रति ट्यूबवेल आर्थिक राहत दी जाए. ताकि किसान फिर से लगवा सके. जब ट्यूबवेल एक स्थान पर खराब हो जाता है तब किसान को तकनीकी कारणों के कारण उसे अन्य स्थान पर लगवाना पड़ता है. जिन किसानों के बाढ़ के कारण ट्यूबवेल खराब हो गए है उन ट्यूबवेल के बिजली कनेक्शन को बिना किसी शर्त व बिना किसी शुल्क के स्थानांतरित करें. बाढ़ के कारण जिन किसानों के खेतों में रेत चढ़ चुका है किसानों को बिना शर्त रेत बेचने की इजाजत दी जाए.


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सरकार द्वारा गन्ने व पापुलर की फसल का मुआवजा अभी तक घोषित नहीं किया है. इस आपदा में गन्ने व पापुलर व अन्य फसले काफी फसल बर्बाद हुई है और गन्ने की फसल साल में एक बार व पापलूर की फसल तीन से चार साल में एक बार तैयार होती है. इसलिए इसका अलग-अलग प्रति एकड़ का मुआवजा घोषित किया जाना अति जरूरी है.
 
इस वर्ष गन्ने का रेट 450 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए. धान की खरीद 15 सितंबर से शुरू की जाए और चावल के निर्यात शुल्क वापिस लिया जाए, ताकि किसानों को धान की फसल का उचित मूल्य मिल सके. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी फसले खरीद की गारंटी का कानून बने व किसानो व मजदूरों को कर्जा मुक्त किया जाए. खेती कर्ज में उतनी ही कीमत की जमीन रहन की जाए जितनी रकम का किसानों को लोन दिया जा रहा है. यानि कुछ कर्ज बदले सारी जमीन रहन न की जाए.


पूरे बरसाती पानी को टैम व तालाब बनाकर जमा किया जाए. उस पानी को सिचाई के लिए दिया जाए और बरसाती नदियों व नालों को पक्का किया जाए, ताकि बाढ़ के पानी से प्रदेश में नुकसान से बचाया जा सके. तेलंगाना सरकार की तर्ज पर किसान को 12000 रुपए प्रति एकड़ वार्षिक सब्सिडी दी जाए ताकि प्रदेश का किसान विश्व व्यापार संगठन (W.T.O.) का मुक़ाबला कर सके और जिन परिवारों की वार्षिक आय 6 लाख रुपए से कम है उनके मुखिया का 10 लाख रुपए का बीमा किया जाएगा और प्रदेश में सभी का ईलाज फ्री कराया जाए खेती में लागत को घटाने और डबल्यूटीओ का मुकाबला करने के लिए सभी कृषि यंत्र खरीद कर सोसायटियों के द्वारा किसानो को उपलब्ध करवाया जाए ताकि किसानो की खेती की लागत कम हो.


वहीं वाहनों की रजिस्ट्रेशन किलोमीटरों को आधार मानकर रद्द की जाए वाहनों की उम्र को 10 वर्ष का आधार मानकर रजिस्ट्रेशन रद्द करना गलत. जूमला मुस्तरका मालिकाना हक किसानों को दिया जाए क्योंकि यह जमीन किसान की जमीन का हिस्सा कट छोड़ी गई थी. देश मे बेरोजगारी को दूर करने के लिए हर बेरोजगार युवाओं को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाए ताकि वह युवा अपना काम कर सकें.


INPUT: DARSHAN KAIT