Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: दिल्ली में वोटर्स के नाम लिस्ट से काटे जाने पर मचे बवाल के बीच दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार शाम मुख्य चुनाव आयुक्त से मुलाकात की. बीजेपी ने उन्हें दिल्ली में हो रही मतदाता सूची में गड़बड़ियों के बारे में बताया और इससे जुड़े 5000 पेज के सबूत जमा कराए.  बीजेपी ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी की सरकार कैसे लोकतंत्र की हत्या करना चाहती है और मेंडेट को छीनना चाहती है. 


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मीटिंग के बाद वीरेंद्र सचदेवा ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि आज हमने मुख्य चुनाव आयुक्त को बताया कि कैसे दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को पनाह देने में लगी है. हमने 5000 पेज के एविडेंस दिए हैं और ऐसे और भी सबूत उनके पास हैं. उन्होंने कहा कि आप सरकार एक खास वरह के वोटों को पालने की कोशिश कर रही है और जब दिल्ली के नागरिक उन वोटों को पकड़ने का काम करते हैं तो ये अफसरों को धमकाते हैं. सचदेवा ने वोटर लिस्ट दिखाते हुए जनकपुरी के एक वोटर मुजम्मिल रजा का जिक्र करते हए कहा कि वोटर लिस्ट के पेज पर इस नाम से चार वोट बने हैं. नाम और पता एक पर वोटर कार्ड नंबर (EPIC No.) अलग-अलग है. उन्होंने कहा कि ऐसे ही 5000 पेज उन्होंने चुनाव आयोग को दिए हैं. 


सचदेवा ने कहा कि इसके खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी और एक भी फर्जी वोट नहीं पड़ने देंगे. दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों-रोहिंग्याओं को चेतावनी दी कि तुम्हें दिल्ली में पनाह नहीं लेने देंगे. तुम्हें दिल्ली को बर्बाद नहीं करने देंगे. तुम लोग दिल्ली वालों का हक छीन रहे हो. तुम दिल्ली की सुविधाओं को छीन रहे हो. फर्जी वोट की सजा एक साल है. 


वोट काटने में गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं 
वहीं सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार भारतीय नगरिकों का मतदान का अधिकार छीनकर अवैध प्रवासियों को दे रही है. आप सरकार दिल्लीवासियों का अधिकार छीन न सके और चुनाव निष्पक्ष हो, इसके लिए आज हम चुनाव आयोग के समक्ष आए. मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि आज हम दिल्ली वालों के हक़ के लिए यहां आए. बीजेपी के आज के कदम को अरविंद केजरीवाल और उनके नेता अलग तरीके से पेश करेंगे. आम आदमी पार्टी के वोट कटवाने के आरोप पर मल्होत्रा  ने कहा कि उन्होंने जब मतदान कटने का आवेदन दिया जाता है तो चुनाव आयोग उस व्यक्ति को नोटिस भेजता कि वह अपने पते पर मौजूद होने का प्रमाण दे. इसमें गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं होती है. 


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