Haryana Vidhan Sabha Chunav: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए दुष्यंत चौटाला ने स्पष्ट किया कि जेजेपी भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेगी. उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव में हार को अब वे अवसर के रूप में देखते हैं. चौटाला ने संकेत दिए कि अगर I.N.D.I.A गठबंधन में जेजेपी को प्राथमिकता मिलती है, तो वे इसमें शामिल हो सकते हैं.
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Haryana Vidhan sabha chunav 2024: हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. उन्होंने साफ किया कि इस चुनाव में जेजेपी भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेगी. रविवार को एएनआई से खास बातचीत के दौरान दुष्यंत चौटाला ने विश्वास दिलाया कि वह भविष्य में भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेंगे.
लोकसभा चुनाव में हार पर विचार
2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी हार के बारे में पूछे जाने पर चौटाला ने बताया कि अब वह इसे संकट के बजाय एक अवसर के रूप में देखते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि जैसे पिछले चुनाव में जेजेपी किंगमेकर थी, वैसे ही आने वाले दिनों में भी जेजेपी हरियाणा की राजनीतिक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. साथ ही उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि जेजेपी संभवतः किसानों की भावनाओं को तरह से समझने में असफल रही, जिसके परिणामस्वरूप लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.
भाजपा-जेजेपी गठबंधन का
दरअसल, साल 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद, हरियाणा में भाजपा ने जेजेपी के 10 विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जेजेपी-बीजेपी का गठबंधन टूट गया और चुनाव में जेजेपी को मात्र 0.87% वोट मिले. उसका कोई भी उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं कर सका. दूसरी लगातार जेजेपी के विधायक पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं.
I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल होने की संभावनाएं?
वहीं, I.N.D.I.A गठबंधन में शामिल होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर चौटाला ने कहा कि अगर जेजेपी को प्राथमिकता दी जाती है, तो वे इस पर विचार करेंगे. NDA गठबंधन में अपने अनुभव को साझा करते हुए, उन्होंने कहा कि किसानों के मुद्दों और पहलवानों के संघर्ष पर अपने स्टैंड में अडिग रहने के बावजूद, उन्हें गठबंधन में अपेक्षित सम्मान नहीं मिला. इसलिए, भविष्य में सम्मान मिलने की गारंटी कौन देगा, यह सवाल उनके मन में उठता है. दुष्यंत चौटाला ने ये स्वीकार किया कि किसान आंदोलन के दौरान लोगों में काफी आक्रोश था. उनके मतदाता आधार का एक बड़ा हिस्सा किसानों का है, जो चाहते थे कि वे आंदोलन के समय इस्तीफा दें.