Hisar Loksabha Seat: भाई के खिलाफ लड़ चुके रणजीत चौटाला अब चुनाव मैदान में बहू से करेंगे मुकाबला, बोले-हमारे राजनीतिक विचार अलग
रानियां के निर्दलीय विधायक और हरियाणा के बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला रविवार को भाजपा में शामिल हो गए. रणजीत सिंह पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के सबसे छोटे बेटे हैं. भाजपा जिलाध्यक्ष निताशा सिहाग ने औपचारिक तौर पर सदस्यता रसीद काटकर उन्हें पार्टी में शामिल करवाया.
हिसार : रानियां के निर्दलीय विधायक और हरियाणा के बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला रविवार को भाजपा में शामिल हो गए. रणजीत सिंह पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के सबसे छोटे बेटे हैं. भाजपा जिलाध्यक्ष निताशा सिहाग ने औपचारिक तौर पर सदस्यता रसीद काटकर उन्हें पार्टी में शामिल करवाया. सिरसा से भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार अशोक तंवर, पूर्व राजनीतिक सलाहकार जगदीश चोपड़ा ने उन्हें पटका पहनाया. इस दौरान रणजीत सिंह के साथ उनकी पत्नी इंद्रा और बेटे गगनदीप सहित परिवार के बाकी सदस्य भी उपस्थित थे.
भाजपा ने चौटाला को हिसार लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. रणजीत सिंह ने मीडिया से बात करते कहा कि चौधरी देवीलाल का भाजपा से पुराना रिश्ता रहा है. पहली बार चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन चौधरी देवीलाल ने किया था. मैं मन से हमेशा से भाजपा का था. कुछ कारणों से ज्वाइन नहीं कर पा रहा था, लेकिन अब जैसे ही पार्टी ने आदेश दिया तो आ गया.
परिवार को लेकर दी ये प्रतिक्रिया
जब इनसे हिसार से उनकी बहू और इनेलो नेता सुनैना चौटाला के लोकसभा चुनाव लड़ने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने जवाब को घुमाते हुए कहा कि वह अपने बड़े भाई ओम प्रकाश चौटाला के खिलाफ चुनाव लड़ते आए हैं. हमारे राजनीतिक विचार अलग-अलग हो सकते हैं. हमारे परिवार के बीच कोई मतभेद नहीं है. चौधरी देवीलाल का परिवार बहुत बड़ा है. हमारे परिवार को जब जरूरत पड़ती है तो हम एक हो जाते हैं. सुनैना चौटाला देवीलाल के बेटे प्रताप सिंह चौटाला की बहू हैं. सिरसा लोकसभा से बीजेपी के उम्मीदवार अशोक तंवर ने कहा कि चौधरी रणजीत सिंह चौटाला एक बड़े नेता है, जिनके बीजेपी ज्वाइन करने से पूरे हरियाणा में पार्टी को फायदा होगा.
लोकदल की टिकट पर लड़ चुके हैं
रणजीत चौटाला 1987 में लोकदल के टिकट पर रोरी विधानसभा से 7वीं विधानसभा के लिए चुने गए थे. वह हरियाणा के कृषि मंत्री भी रहे और उनके पिता मुख्यमंत्री थे. 1990 में उन्हें राज्यसभा सांसद के रूप में चुना गया. उस समय उनके पिता देश के उपप्रधान मंत्री थे. वह 2005 - 2009 में राज्य योजना बोर्ड, हरियाणा के उपाध्यक्ष रहे. 2019 में उन्होंने हरियाणा की 14वीं विधानसभा के लिए रानियां विधानसभा से चुनाव लड़ा और बतौर निर्दलीय विधायक बने.