MSP Hike: केंद्र ने दिया किसानों को बड़ा तोहफा, दाल समेत इन फसलों पर बढ़ाई MSP
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MSP Hike: केंद्र ने दिया किसानों को बड़ा तोहफा, दाल समेत इन फसलों पर बढ़ाई MSP

MSP Hike: केंद्र सरकार ने देशभर के सभी किसानों को बड़ा तोहफा दिया है. सरकार ने दाल सहित कई फसलों पर MSP को बढ़ा दिया है. सरकार के इस फैसले से देशभर के किसानों को बड़ा फायदा होने वाला है. देखें सरकार ने किन दालों और फसलों पर कितनी MSP की बढ़ोतरी की है. 

MSP Hike: केंद्र ने दिया किसानों को बड़ा तोहफा, दाल समेत इन फसलों पर बढ़ाई MSP

MSP Hike: केंद्र सरकार ने देशभर के सभी किसानों को बड़ा तोहफा देते हुए तुअर दाल, उड़द दाल, धान और मक्का सहित कई फसलों पर एमएसपी को बढ़ा (MSP Hike) दिया है. एमएसपी का मतलब मिनिमम सपोर्ट प्राइस (Minimum Support Price) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य से है. केंद्र सररकार MSP द्वारा किसानों को उनकी उपज के न्यूनतम मूल्य की गारंटी देती है. तो वहीं, इससे पहले सरकार ने MSP पर दाल की खरीद के लिए लिमिट को हटा लिया था. केंद्र सरकार ने कैबिनेट की बैठक में ये बड़ा फैसला लिया है.

इन दालों पर बढ़ी MSP

आपको बता दें कि बीते बुधवा को केंद्रीय कैबिनेट बैठक का आयोजन किया गया था. इस बैठक में MSP बढ़ाने को फैसला लिया गया है. लंबे समय से तुअर दाल की MSP बढ़ाने की मांग लगातार जारी थी. इस बैठक के बाद उड़द दाल की MSP को साल 2014-15 के 4350 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2023-24 के लिए 6950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. इसी के साथ सूरजमुखी की MSP को 3750 रुपये से बढ़ाकर 6760 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है. इसके अलावा केंद्र ने सोयाबीन पर MSP को 2560 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 4600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है.

सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए MSP में बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है. खरीफ फसल के लिए MSP बढ़ाने को मंजूरी दी है. अरहर दाल पर MSP  साल 2014-15 के 4350 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 7000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने जानकारी देते हुए बताया कि धान की MSP (Paddy MSP) में 7 फीसदी का इजाफा किया गया है. कॉमन ग्रेड में MSP 3883 रुपये कर दी गई है, तो वहीं ग्रेड A में MSP को 2203 रुपये किया गया है.

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उन्होंने बताया कि मूंग दाल में MSP को 10.4 फीसदी बढ़ाया गया है. 5705 रुपये प्रति क्विंटल की लागत के बदले यह पहले 7755 रुपये थी. इसे अब बढ़ाकर साल 2023-24 के लिए 8558 रुपये कर दिया गया है. मूंगफली में MSP को 9 फीसदी बढ़ाकर 6357 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि MSP में कई वर्षों की सबसे अधिक बढ़ोतरी की गई है. न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत से कम से कम 50 फीसदी ज्यादा रखा जाता है. कुल खाद्यान उत्पादन साल 2018-19 में 2850 लाख टन था. अब अनुमान है कि यह 4 साल में बढ़कर 3300 लाख टन तक जाएगा. अर्थात 450 लाख टन का इजाफा 4 साल में होगा. शायद ही कोई देश होगा जहां इतना इजाफा हुआ होगा.

हरियाणा के इन नेताओं ने जताया आभार

बता दें कि फसलों की MSP बढ़ाने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री का जताया आभार जताया है और केंद्र के इस फैसले का स्वागत किया है. मनोहर ने कहा कि 'साल में दो बार रबी और खरीफ की फसल का अलग से केंद्र सरकार की ओर से अच्छी मात्रा में MSP बढ़ाई जाती है. इस बार जो MSP बढ़ाई गई है इसके लिए मैं प्रधानमंत्री, कृषि मंत्री और सरकार के सभी लोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं. ये किसानों के हित में सरकार का बहुत अच्छा फैसला है. किसान की लागत कम हो, बिक्री में पैसा ज्यादा मिले. यही सरकार की कोशिश रहती है.

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तो वहीं, खरीफ की फसलों की MSP में की गई बढ़ोतरी पर हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि फसलों की MSP में बढ़ोतरी पर प्रधानमंत्री दिल से धन्यवाद करता हूं. खरीफ की फसलों में अच्छी खासी बढ़ोतरी उन्होंने की है. फसलों में 7 से लेकर 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है. जेपी दलाल ने कहा कि मैं दक्षिण हरियाणा से आता हूं इस बढ़ोतरी से बाजरे के किसान उत्साहित है. 2014-15 में बाजरा 1200 से 1300 में बिकता था जो आज 2500 रुपये कर दिया है, मिलेट्स वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है, केंद्र सरकार मोटे अनाज को प्रोत्साहित कर रही है.

जेपी दलाल ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने बाजरे में डेढ़ सौ बढ़ोतरी की है. किसान की आय बढ़ाने के लिए जो-जो काम करने चाहिए, जिसमें सस्ती बिजली, नहरी पानी देने समेत सभी काम कर रहे है.

इस दिन शुरू हुआ था किसान आंदोलन

आपको बता दें कि 25 नवंबर, 2020 को तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध-प्रदर्शन शुरु हुआ था. इन तीनों कानून को लेकर देशभर के किसानों ने एक साल तक जमकर प्रदर्शन किया था. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए, 17 सितंबर, 2020 को लागू किए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था.

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