Mahendragarh News: नारनौल के ट्रांसपोर्टर्स ने आज जिला प्रशासन व सरकार के खिलाफ हुंकार भरी. जहां हजारों की संख्या में ट्रांसपोर्टर, ट्रक ड्राइवर व ट्रांसपोर्टर्स जुड़े. इसमें टायर पंचर निकालने वालों तक ने एकत्र होकर जिला प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाए. ट्रांसपोर्ट यूनियन के बैनर तले हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हुए और निजामपुर रोड से पैदल मार्च करते हुए जिला सचिवालय पहुंचे. जिला उपायुक्त की गैर मौजूदगी में एसडीएम को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा और जल्द से जल्द अपनी मांगे पूरी करने की मांग की. प्रदर्शन में धोलेडा बाईपास शुरू करो और जिला प्रशासन मुर्दाबाद के नारे गूंजे.


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प्रदर्शन कर रहे लोगों ने सीआईडी विभाग के कुछ कर्मचारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिला प्रशासन गैर कानूनी तरीके से उन्हें परेशान करता है. साथ ही धोलेडा बाईपास जो तकरीबन 4 महीना से बनकर तैयार है. इसको तैयार करने में बखरीजा में चल रही खनन क्षेत्र से पैसा लगाया गया है. उसके बावजूद इसे अब तक चालू नहीं किया गया है. आखिर किस नियम में लिखा है कि जो रोड बनकर तैयार हो गया उसे बंद रखा जाए. साथ ही कहा कि कच्चे रास्तों से उनकी गाड़ियां उठाकर उन्हें बार-बार परेशान किया जा रहा है. जबकि अगर सरकार को ओवरलोड और रवाना चोरी पर अंकुश लगाना है तो माइंस और क्रशरों पर क्यों करवाई नहीं करते. ऐसे में ट्रांसपोर्टरों को आत्महत्या करने तक की नौबत आ गई है. अपनी मांग रखते हुए कहा कि जल्द से जल्द धोलेडा बाईपास शुरू किया जाए और उन्हें गैर कानूनी तरीके से परेशान नहीं किया जाए. अगर उनकी मांगे जल्द पूरी नहीं की गई तो दोबारा से वह रूपरेखा बनाकर अपना आंदोलन शुरू करेंगे.


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वहीं एसडीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री के नाम उन्हें ज्ञापन मिला है. जल्द वह उनके मांग पत्र को मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे और जो समस्या जिला प्रशासन के स्तर की है, उसे जल्द निपटारा कर दिया जाएगा.


आपको बता दें कि 2017-18 में ग्रामीणों की मांग पर धोलेडा बाईपास का निर्माण करवाया गया था, इससे पहले धोलेडा गांव के बीचो-बीच डंपर निकलते थे. 2017-18 में बाईपास निर्माण होने के बाद भारी वाहन बाईपास से होकर गुजरने लगे 2023 में इसकी रिपेयरिंग करवाई गई और माइंस के रेवेन्यू से एकत्रित हुए रुपयो से इसे सीसी (सीमेंट) का रोड बनाया गया, लेकिन इसके बाद इस बाईपास को नहीं खोला गया है. बरहाल अब जो भी हो देखना यह होगा कि कब तक इनकी मांगे पूरी की जाती हैं या ट्रांसपोर्ट यूनियन को अपनी मांगे मनवाने के लिए दोबारा से आंदोलन का सहारा लेना पड़ेगा.


Input: Karamvir Singh