चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ जारी आंदोलन के लिए सरकार के संवेदनहीन रवैये को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि महीनेभर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के विद्यार्थी आंदोलनरत हैं. पीजीआई रोहतक में विद्यार्थी भूख हड़ताल और धरना कर रहे हैं, लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही. अब विद्यार्थियों के समर्थन में रेजिडेंट डॉक्टर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ भी आ गया है. उनकी हड़ताल के चलते मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.


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इस गतिरोध को खत्म करने की बजाए सरकार लगातार इसे बढ़ाने में लगी है. विद्यार्थियों की जायज मांग मानने की बजाय सरकार उनको धमकाने में लगी है. उन्हें हॉस्टल से निकालने और उनके खिलाफ FIR की धमकी दी जा रही है. देश के किसी भी राज्य में हरियाणा जैसी सख्त बॉन्ड पॉलिसी लागू नहीं है. देश के 10 राज्यों में ऐसी को पॉलिसी लागू नहीं है, जिन 17 राज्यों ने बॉन्ड पॉलिसी को लागू किया है, उन्होंने अपने विद्यार्थियों को सरकारी नौकरी की भी गारंटी दी है. सभी राज्यों में बॉन्ड की रकम और अवधि हरियाणा से कम है. इतना ही नहीं लगभग सभी राज्यों में बॉन्ड सरकार और विद्यार्थियों के बीच है. जबकि हरियाणा में बैंक से लोन लेने का प्रावधान रखा गया है.


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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में बॉन्ड और 40 लाख रुपये की फीस लागू करने से गरीब व मध्यम वर्ग के बच्चे मेडिकल शिक्षा से वंचित हो जाएंगे. गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों तक मेडिकल शिक्षा का लाभ पहुंचाने के लिए कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में 4 मेडिकल कॉलेज स्थापित किए थे. एम्स और कैंसर इंस्टीट्यूट जैसे संस्थान भी कांग्रेस कार्यकाल के दौरान ही प्रदेश में आए. जबकि बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान प्रदेश में एक भी नया मेडिकल शिक्षण संस्थान नहीं बनाया.


उन्होंने कहा कि ऐसे में पहले से स्थापित शिक्षण संस्थानों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों से किसी भी तरह की वसूली करने का मौजूदा सरकार को कोई नैतिक अधिकार नहीं है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार इन विद्यार्थियों, इनके अभिभावकों और हड़ताल की वजह से दिक्कतें झेल रहे मरीजों के दर्द को समझे. जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकाला जाए. हुड्डा ने आने वाले विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को उठाने की बात भी दोहरायी.