Greater Noida: दनकौर में नाबालिग के अपहरण और रेप केस में युवक को 10 साल का कठोर कारावास
Court Verdict: गौतम बुद्ध नगर कोर्ट ने सात साल पुराने केस में फैसला सुनाया. कोर्ट ने दोषी पर 55 हजार रुपये का जुरमाना भी लगाया. साथ ही जुर्माने की 85 फीसदी रकम पीड़ित लड़की को देने का आदेश भी दिया.
ग्रेटर नोएडा: दनकौर थाना क्षेत्र में 7 साल पहले शादी के लिए मजबूर करने के इरादे से नाबालिग लड़की के अपहरण और रेप मामले में गौतम बुद्ध नगर कोर्ट ने एक युवक मोहित को दोषी करार दिया. विशेष POCSO कोर्ट के जज (प्रथम) विकास नागर ने युवक को रेप के मामले में 10 साल के सश्रम कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. कोर्ट ने अपहरण के मामले में मोहित को 5 साल के कठोर कारावास और 5,000 रुपये जुर्माने की भी सजा सुनाई. दोनों सजाएं साथ चलेंगी.
दनकौर थाना पुलिस ने ग्रेटर नोएडा निवासी मोहित के खिलाफ केस दर्ज किया था. मोहित पर अप्रैल 2017 में 16 वर्षीय लड़की के अपहरण और फिर उसके रेप का आरोप था. आरोपी मोहित और पीड़ित लड़की दोनों एक ही गांव के हैं.
बचाव पक्ष ने मांगी सजा में रियायत
कोर्ट में बचाव पक्ष के वकील नरेश चंद गुप्ता ने कहा कि इस केस में आरोपी मोहित अपने गरीब परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य है और उसका कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. इसलिए उसे कम से कम सजा दी जाए. वहीं विशेष लोक अभियोजक जय प्रकाश भाटी ने कहा कि क्राइम एक नाबालिग के खिलाफ किया गया है. इसलिए मोहित के साथ कोई नरमी नहीं बरती जाए और उसे अधिकतम सजा देने की दलील दी.
3 अप्रैल 2017 का है केस
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मोहित ने 3 अप्रैल, 2017 की सुबह 11.30 बजे नाबालिग लड़की को शादी के लिए मजबूर करने या अवैध यौन संबंध बनाने के लिए उसका अपहरण किया और रेप किया.
जुर्माने की रकम लड़की को देने का आदेश
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दोषी युवक को POCSO एक्ट की धारा 4 के तहत 10 साल के कठोर कारावास और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा दी जाती है. जुर्माना अदा न करने पर उसे छह साल का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा. अदालत ने मोहित को शादी के लिए मजबूर करने या यौन संबंध बनाने के लिए अपहरण में पांच साल के कठोर कारावास और 5,000 रुपये के जुर्माने की भी सजा सुनाई गई. जुर्माना न देने पर उसे तीन महीने की अतिरिक्त साधारण कैद भुगतनी होगी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दोषी शख्स से वसूले गए जुर्माने की 85% राशि पीड़ित लड़की के पुनर्वास के लिए दी जाए.