Farmer's Protest: किसानों ने अपनी मांगों को लेकर नोएडा प्राधिकरण के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. भारतीय किसान यूनियन मंच के नेतृत्व में किसान दोपहर 1 बजे हरौला बारात घर पहुंचे और वहां से पैदल मार्च करते हुए प्राधिकरण की ओर बढ़े. मुख्य सड़क पर पुलिस ने बैरिकेड लगाकर किसानों को रोकने की कोशिश की.


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किसानों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की
इस दौरान किसानों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की हुई, लेकिन किसान बैरिकेड तोड़कर प्राधिकरण की सड़क पर आ गए. इसके बाद, स्थिति को देखते हुए प्राधिकरण के सभी गेटों को तुरंत बंद कर दिया गया. इसके बावजूद, किसान सड़क पर बैठकर प्रदर्शन करने लगे.


प्राधिकरण के छत पर लगाया झंडा
कुछ किसानों ने प्राधिकरण की छत पर चढ़कर वहां अपना झंडा लगा दिया, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया. पुलिस प्रशासन के समझाने पर स्थिति कुछ हद तक शांत हुई, और किसान प्राधिकरण के बाहर धरने पर बैठ गए.


हाइपावर कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं
किसानों ने अपनी असहमति जताते हुए कहा कि वो हाइपावर कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हैं. उनकी मांग है कि उन्हें 10 प्रतिशत विकसित भूखंड और 64.7 प्रतिशत की दर से अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए, जिसे हाइपावर कमेटी ने खारिज कर दिया है. उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.


अधिकारियों से स्पषटीकरण की मांगे
भारतीय किसान यूनियन मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुधीर चौहान ने अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा कि किसानों से किए गए समझौतों को किस हद तक लागू किया गया है? जब तक इन समझौतों का पूरा पालन नहीं होगा, तब तक भारतीय किसान यूनियन मंच प्राधिकरण के बाहर अनिश्चितकालीन धरना देगा.


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सभी गांवों का किया जाए विकास
राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अशोक चौहान ने कहा कि जिन किसानों को मूल 5 प्रतिशत के प्लॉट नहीं मिले हैं, उन्हें जल्द से जल्द दिए जाएं, जिन किसानों को न्यायालय से आदेश मिल चुके हैं उन्हें अतिरिक्त 5 प्रतिशत भूखंड या मुआवजा दिया जाए. सभी 81 गांवों का विकास सेक्टरों की तरह किया जाए।


नक्शा नीति समाप्त किया जाए
किसानों ने यह भी मांग की कि 1997 से सभी किसानों को 64.7 प्रतिशत मुआवजा और 10 प्रतिशत के विकसित भूखंड दिए जाएं. नोएडा के 81 गांवों की आबादी का क्षेत्रफल 450 मीटर से बढ़ाकर 1000 मीटर किया जाए और इसका समाधान किया जाए. 1976 से 1997 तक के किसानों को कोटा स्कीम के तहत प्लॉट दिए जाएं, स्वामित्व योजना लागू की जाए और गांवों में नक्शा नीति समाप्त की जाए क्योंकि यह वहां व्यावहारिक नहीं है.