पहली पत्नी के होते हुए पति के दूसरे महिला के साथ संबंध को नहीं दी जा सकती मान्यताः हाई कोर्ट
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पहली पत्नी के होते हुए पति के दूसरे महिला के साथ संबंध को नहीं दी जा सकती मान्यताः हाई कोर्ट

बीते दिनों पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि अगर पति का उसकी पहली पत्नी से तलाक नहीं हुआ है और वो दूसरी महिला के साथ रहता है या फिर उसकी पत्नी अलग रह रही है तो दूसरी महिला के साथ रिलेशनशिप को मान्यता नहीं दी जाएगी. 

पहली पत्नी के होते हुए पति के दूसरे महिला के साथ संबंध को नहीं दी जा सकती मान्यताः हाई कोर्ट

चंडीगढ़ः हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना किसी अन्य महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहना कामुक और व्यभिचारी कृत्य है. इतना ही नहीं अगर पत्नी अलग रह रही है, लेकिन उसके बावजूद भी पति के दूसरे महिला के साथ रिलेशनशिप में रहने को मान्यता नहीं दी जा सकती.

कोर्ट ने पूरी तरह से साफ कर दिया है कि विवाह संबंधी मुद्दों के संबंध में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 एक पूर्ण संहिता है जो विवाह की प्रक्रिया के साथ-साथ तलाक की शर्तों को तय करता है. अपने जीवनसाथी से तलाक मांगे बिना ही पुरुष याची या 19 साल की युवती के साथ एक कामुक और व्यभिचारी जीवन जी रहा है व उसका जीवन खराब कर रहा है.

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कोर्ट ने कहा कि याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है. इस टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने इस जोड़े की सुरक्षा की मांग को खारिज कर दिया. इसी के साथ हाई कोर्ट के जस्टिस अशोक कुमार वर्मा ने कैथल जिले के एक जोड़े द्वारा दायर सुरक्षा याचिका को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अपने जीवन की सुरक्षा और एक जोड़े के रूप में रहने की स्वतंत्रता के लिए इस कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसे वर्तमान मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में सही नहीं माना जा सकता है.

उन्होंने आगे कहा कि एक व्यक्ति के रूप में याचिकाकर्ता को अगर उन्हें अपने जीवन या स्वतंत्रता के लिए किसी भी तरह के खतरे की आशंका है तो वे अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस से संपर्क करने के हकदार होंगे. बता दें कि इस मामले में इस जोड़ा लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहा था, लेकिन परिवार और रिश्तेदारों से जान खतरा होने की वजह से हाईकोर्ट से निर्देश जारी करने की मांग की थी.

वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि पुरुष याचिकाकर्ता पहले से शादीशुदा है. उसकी 2014 से अपनी पत्नी के साथ वैवाहिक विवाद चल रहा है. दोनों याचिकाकर्ता पिछले कई सालों से एक-दूसरे को जानते हैं, इसलिए दोनों ने एक साथ रहने का फैसला किया है. वो बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से लिव-इन-रिलेशनशिप में हैं. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उनकी जान को परिवार और रिश्तेदारों से खतरा है.

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इसी के साथ कोर्ट के सवाल के बाद पुरुष याचिकाकर्ता ने बताया कि वह और उसकी पत्नी लंबे समय से अलग रह रहे हैं और उनकी कोई संतान नहीं है. हालांकि उन्होंने तलाक नहीं लिया है. याचिकाकर्ता की बात सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि तलाक न होने के चलते कानून की नजर में अभी भी पुरुष याची का विवाह कानूनन वैध है. ऐसे में कैसे किसी दूसरी महिला के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप रहा जा सकता है.

कोर्ट ने आगे कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 एक पूर्ण संहिता है और विवाह की शर्तों के साथ-साथ तलाक की प्रक्रिया का भी इसमें प्रावधान है. हिंदुओं के लिए विवाह और तलाक हिंदू विवाह अधिनियम में निर्धारित प्रक्रिया द्वारा शासित होते हैं. आपको बता दें कि इससे पहले हाईकोर्ट की बेंच ने घर से भागकर लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े को सुरक्षा देने से इंकार कर दिया और साथ ही कहा कि अगर कोर्ट ऐसे मामलों में सुरक्षा आदेश जारी करेगा तो सामाजिक ताना-बाना गड़बड़ा जाएगा.

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