Ram Mandir: सदियों की तपस्या का फल है, श्री राम ने दूसरी बार भी अयोध्या को ही चुना
प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े करना पूरी तरह से गलत है, जो लोग इसपर सियासत कर रहे है उनका काम है सियासत करना. राम उन्हीं को बुलाते है, जिसे चाहते है. प्रभु जिसे नहीं चाहते वो नहीं आता
Ram Mandir: श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा इस देश में सनातन काल से ही आध्यात्मिक और धार्मिक आयोजन है. राम जन्मभूमि पर श्री राम लाल की प्रतिष्ठा इस देश में सदियों से संचित प्रतीक्षा तपस्या का परिणाम है. यहां उमड़ती हुई भीड़ सनातन काल से जुड़े लोगों की आस्था को खींच लाती हैं. आचार्य दसरथ नंदनी महराज ने कहा कि, लोग शंकराचार्य को आगे करके राजनीति कर रहे है वो गलत है. ये तो सदियों की तपस्या का फल है कि राम ने दूसरी बार भी अयोध्या को ही चुना.
प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े करना पूरी तरह से गलत है, जो लोग इसपर सियासत कर रहे है उनका काम है सियासत करना. राम उन्हीं को बुलाते है, जिसे चाहते है. प्रभु जिसे नहीं चाहते वो नहीं आता. आचार्य दशरथ नंदिनी महाराज ने निमंत्रण को लेकर सवाल खड़े करने वालो पर भी निशाना साधा कहा, जिन्हें निमंत्रण मिला है वह भाग्यशाली है जिन्हे निमंत्रण नहीं मिला वो भी भाग्यशाली है क्योंकि प्रभु उन्हें नहीं बुला रहे है.
हालांकि तिथि को लेकर उन्होंने कहा, इस पर सवाल खड़े करना या तिथि को सही या गलत बताना ये गलत है. तिथि उच्च आचार्यों से पूछकर रखी गई है उसपर संदेह नहीं होना चाहिए. त्रेता युग में राम लंका पर विजय पाकर अयोध्या आए थे. तब पूरे अयोध्या में उत्सव मनाया गया था, लेकिन इस बार का उत्सव उससे ज्यादा होगा, क्योंकि इस बार उत्सव मानने वाले ज्यादा है. इस बार लोग ज्यादा नाचेंगे क्योंकि नाचने वाले ज्यादा है.
उन्होंने त्रेता युग की तिथि और 22 जनवरी की तिथि में भी फर्क बताया और जो लोग सवाल खड़े कर रहे है. शायद उन्हें भी तिथियों का इतना ज्ञान नहीं होगा. आचार्य दसरथ नंदनी महराज ने कहा ये वक्त है राम के नाम पर उत्साह मानने का न कि सवाल खड़े करने का. इसलिए एक बार फिर कहूंगा धन्य है अयोध्या नगरी जहां राम अवतार लेंगे.