भगवान राम जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करते थे: केजरीवाल
हम सब जानते हैं कि कैसे पिता जी के कहने पर अपना राजपाट त्याग कर चले गए थे. कल सुबह भगवान राम अयोध्या के राजा बनने वाले थे. अचानक उनके पास संदेश आता है कि दशरथ जी बुला रहे हैं. माता केकई उनको बोलती है मुझे दो वर मांगने है.
Delhi News: अभी कुछ दिन पहले 22 जनवरी के दिन के अयोध्या में श्रीराम लला जी का प्राण प्रतिष्ठा की गई. ये पूरे भारत और विश्व के लिए खुशी की बात थी. एक तरफ जहां भगवान श्रीराम जी की भक्ति करनी है. तो दूसरी तरफ हमें उनका संदेश जीवन में अपनाना है. वहीं इसी पर दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा गर्व की बात है. प्रभु राम के जीवन से प्रेरणा मिलती है. प्रभु राम से त्याग की सीख मिलती है. भगवान राम जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करते थे. आज हमारा समाज जाति के आधार पर बंटा हुआ है.
आज दिल्ली के अंदर हम लोग रामराज्य से प्रेरणा लेकर सरकार चलाने की कोशिश कर रहे हैं. हमारी कोशिश है कि पूरी दिल्ली के अंदर कोई व्यक्ति भूखा नहीं सोना चाहिए. दूसरा सिद्धांत सबको सम्मान और अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए. तीसरा सिद्धांत अगर कोई बीमार हो जाये ,सामान इलाज मिलना चाहिए, कोई पैसे के आभाव में इलाज करने से न बचे. दिल्ली के अंदर सरकारी हॉस्पिटलों में अच्छा इलाज मिलना चालू हुआ. वहीं हमारा चौथा सिद्धांत 24 घन्टे बिजली आनी चाहिए.
हम सब जानते हैं कि कैसे पिता जी के कहने पर अपना राजपाट त्याग कर चले गए थे. कल सुबह भगवान राम अयोध्या के राजा बनने वाले थे. अचानक उनके पास संदेश आता है कि दशरथ जी बुला रहे हैं. माता केकई उनको बोलती है मुझे दो वर मांगने है. पहला, राम को 14 साल वनवास और भरत को अयोध्या का राजा बनाया जाये. पूरी अयोध्या भगवान राम के साथ थी लेकिन, उनको राजपाट का मोह नहीं था और उन्होंने दो मिनट में बिना किसी दुख के वनवास जाने का निर्णय लिया. भरत को जब पता चला तो वो वन गए और भगवान राम से कहा कि राजपाट संभालिए ये आपका है.
वहीं आज के जमाने में दो भाई लड़ते हैं तो कहते हैं कि ये जमीन मेरी है. भगवान राम जाति के आधार पर भेद नहीं करते थे. वन में एक माता शबरी माता थी, जो समाज में छुआछूत से प्रताड़ित जाति से थी. भगवान राम माता शबरी को दर्शन देने के लिए गए. माता शबरी के झूठे बेर उन्होंने खाए. दिल्ली में सरकार राम राज्य से प्रेरणा लेकर चल रही है.
कोई भूखा ना सोए, कोई बिना छत के ना रहे. सबको समान शिक्षा मिले. अमीरों के बच्चे निजी स्कूल और गरीब के बच्चे सरकारी स्कूल में जाते हैं. दिल्ली में 9 साल में हमने इस प्रथा को बदला. निजी स्कूल से नाम कटवाकर अमीरों के बच्चे सरकारी स्कूलों में आ रहे हैं. सबको समान और बेहतर इलाज मिलना चाहिए. पैसे के अभाव में इलाज कभी रुकना नहीं चाहिए. मोहल्ला क्लिनिक, पोली क्लिनिक खोले अस्पताल बेहतर किए. वहीं मुफ्त बिजली और फ्री पानी हम दे रहे हैं.