Baby Care Hospital: समय रहते हुए लिया होता एक्शन, तो बच जाती शिशुओं की जान
बेबी केयर सेंटर की बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर से नीचे और ऊपर जाने का सिर्फ एक रास्ता ही बना हुआ था. वह रास्ता भी बिल्डिंग के अंदर से बना हुआ था. ऐसे में जब वहां पर आग लगी तो लोग बच्चों को बचाने के लिए सीढ़ियो तक भी नहीं पहुंच पाए. वहीं बिल्डिंग के बीच में अतिक्रमण करके लोहे की सीढ़ी बनाई हुई है.
Baby Care Hospital Fire Delhi: विवेक विहार में स्थित जिस बेबी केयर सेंटर में आग लगने से सात नवजात शिशुओं को जान गंवानी पड़ी. शुरुआती जांच में पता चला कि ग्राउंड फ्लोर पर ऑक्सिजन सिलिंडर का रीफिलिंग सेंट अवैध रूप से चलाया जा रहा था. साथ ही अस्पताल के प्रशासन ने इसके लिए कोई परमिशन नहीं ली थी. स्थानीय लोगों द्वारा पुलिस और एमसीडी प्रशासन से इसकी शिकायत लगातार की जा रही थी. लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया.
शिकायत के बावजूद नहीं लिया गया एक्शन
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते हुए इस पर एक्शन लिया होता तो शायद ही इन सात नवजातों को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती. वहां के मौजूदा निवासी बृजेश कुमार ने बताया कि सी-54 में चल रहे इस अस्पताल को अतिक्रमण करके बनाया गया था. इसकी शिकायत सी-55 में रहने वाला वहां के एसएस गुप्ता ने तकरीबन से सात से आठ बार शिकायत की थी. बृजेश के अनुसार, दिल्ली नगर निगम, स्वास्थय विभाग और बाकी के विभागों को भी अस्पताल के अतिक्रमण और अवैध रुप से चलाए जाए रहे रीफिलिंग की शिकायत की थी. इसके बावजूद भी प्रशासन की तरफ से कोई भी एक्शन नहीं लिया गया और न एक बार भी आकर यहां पर देखा. उन्होंने बताया है कि कई बार दिल्ली पुलिस के बीट अधिकारी को भी अवैध रूप से चल रीफिलिंग सेंटर की जानकारी भी दी जा चुकी है. वहीं हादसे में बच्चों की बचाने के दौरान उनके भी हाथों में चोटें आई है.
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बिल्डिंग में नहीं था कोई दूसरा रास्ता
बेबी केयर सेंटर की बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर से नीचे और ऊपर जाने का सिर्फ एक रास्ता ही बना हुआ था. वह रास्ता भी बिल्डिंग के अंदर से बना हुआ था. ऐसे में जब वहां पर आग लगी तो लोग बच्चों को बचाने के लिए सीढ़ियो तक भी नहीं पहुंच पाए. वहीं बिल्डिंग के बीच में अतिक्रमण करके लोहे की सीढ़ी बनाई हुई है. इन सीढ़ियों का इस्तेमाल ग्राउंड फ्लोर पर जाने के लिए किया जाता है. लेकिन जब आग लगाने के दौरान आग की लपटें काफी ऊपर तक आने लगी थी. जिस कारण यह रास्ता बंद हो गया था. लेकिन वहां के स्थानीय लोग और जितेंद्र सिंह ने बिल्डिंग के पीछे बनी खिड़की को तोड़कर अंदर घुसे.
वहीं घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने तकरीबन 11:30 बजे ब्लास्ट होने की आवाज सुनी थी, जो कि एक के बाद एक लगातार ब्लास्ट होने के बाद वहां सभी लोग अपने-अपने घरों से बाहर आ गए. लोगों अस्पताल में लगी आग को देखकर पुलिस और दमकल विभाग को सुचित किया.