सोनीपत: कहते हैं कि अगर एक काम में आपको सफलता नहीं मिल रही या अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे तो या तो उस काम को करने का तरीका बदल दें या वह काम ही बदल दें. दिल्ली एनसीआर से सटे सोनीपत के गांव हरसाना के किसानों ने एक उम्मीद के साथ खेती के तरीके में परिवर्तन कर लिया है, जिसके बाद उन्हें चेहरे ताजे फूल की तरह खिले नजर आ रहे हैं. दरअसल यहां के किसान धान-गेहूं जैसी परंपरागत फसलों को छोड़कर आधुनिक खेती की तरफ अग्रसर हो रहे हैं और पहले से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.


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गांव हरसाना के किसान करीब 100 एकड़ में गुलाब की खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि गुलाब की खेती की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है और परंपरागत कृषि से उन्हें ज्यादा मुनाफा हो रहा है. रोहित नाम के एक किसान ने बताया कि दिवाली और त्योहारों पर गुलाब के फूल के भाव कई गुना बढ़ जाते हैं.


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उन्होंने बताया कि वह गुलाब के पौधे राजस्थान के गंगानगर से मंगवाते हैं, जिसकी कीमत प्रति पौधा 18 से 20 रुपये होती है. 1 एकड़ में करीब 2000 पौधे लगा दिए जाते हैं. किसान ने बताया कि पौधे की ग्रोथ से लेकर एक कीड़ों से बचाने के लिए भी दवाइयों का स्प्रे किया जाता है. किसान ने अपने मेहनत मजदूरी और दवाइयों के खर्च निकालकर प्रतिदिन 1000 से 1500 रुपये तक मुनाफा निकाल लेता है और इस प्रकार महीने में 30 से 35 हजार रुपये का मुनाफा कमा लेता है और सालाना यह करीब चार लाख तक पहुंच जाता है.


किसान ने बताया कि फूलों की खेती करने से एक तरफ जहां उन्हें लगातार मुनाफा मिल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ से धान और गेहूं की खेती में आने वाली लागत से भी बच रहे हैं और इसके साथ ही पानी भी बचा रहे हैं. रोहित का कहना है कि गुलाब की खेती धान और गेहूं की खेती से ज्यादा मुनाफा देती है. गुलाब की खेती में लागत मूल्य कम आता है. गुलाब की खेती 1 एकड़ में ही लाखों रुपये का मुनाफा दे देती है, जबकि धान और गेहूं की खेती में इतना मुनाफा नहीं हो पाता. 


6 महीने में तैयार होती है फसल 
गुलाब की खेती महज 6 महीने में तैयार हो जाती है, जिसके बाद राजधानी दिल्ली के नजदीक होने के चलते आजादपुर मंडी में फसल की बिक्री कर देते हैं. हर रोज के अलग-अलग भाव होते हैं. जिस दिन भाव अच्छा मिल जाता है, उस दिन 200 रुपये प्रति किलो तक के गुलाब बिक जाते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि गुलाब की खेती करने वाला किसान अगर खुद मेहनत करता है तो ज्यादा मुनाफा कमा लेता है. रामनिवास ने बताया कि अगर मजदूरी पर काम करवाता है तो बचत मूल्य आधा रह जाता है. गुलाब की खेती से खुद की बचत के साथ अन्य लोगों को रोजगार भी मिल जाता है. गुलाब को लगाने के लिए इसके 1 पौधे पर ₹5 का खर्च आता है और वह यमुनानगर से पौधे लेकर आते हैं.


फूलों की खेती करने से प्राकृतिक लाभ
कृषि अधिकारी देवेंद्र कुमार ने बताया कि परंपरागत खेती को छोड़कर किसान फूलों की खेती की तरफ रुझान बढ़ा रहे हैं. कृषि विभाग की तरफ से समय-समय पर किसानों को जागरूक किया जा रहा है. गेहूं-धान की खेती छोड़कर लोग फूलों की खेती कर रहे हैं, जिससे किसानों को फायदा हो रहा है. दिल्ली में अधिक डिमांड होने के चलते किसान अपनी फसल वहां लेकर जा रहे हैं. फूलों की खेती करने से प्राकृतिक लाभ भी हो रहा है और पानी की बचत भी हो रही है.


इनपुट: सुनील कुमार