Delhi News: सौरभ भारद्वाज ने कहा कि LG साहब के द्वारा DDCD भंग करना निचले स्तर की राजनीति है. केंद्र सरकार और भाजपा की राज्यों में कमीशन और बोर्ड में हमेशा इसी तरह नियुक्ति होती है. आप सरकार LG के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएगी.
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Saurabh Bhardwaj Comment: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन (DDCD) को अस्थायी रूप से भंग करने और इसके गैर-आधिकारिक सदस्यों को हटाने की मंजूरी दे दी है. LG कार्यालय की ओर से कहा गया है कि मौजूदा सरकार द्वारा डीडीसीडी बनाने की पूरी कवायद केवल वित्तीय लाभ बढ़ाने और पक्षपातपूर्ण झुकाव वाले कुछ पसंदीदा राजनीतिक व्यक्तियों को संरक्षण देने के लिए थी. साथ ही इन पदों पर नियुक्त लोगों को मुख्यमंत्री की इच्छा पर बने रहने की अनुमति दी गई. LG ने कहा कि ऐसा तब तक रहेगा, जब तक वाइस चेयरमैन और सदस्यों के रूप में डोमेन एक्सपर्ट की स्क्रीनिंग और सेलेक्शन के लिए एक मेकेनिज्म विकसित नहीं हो जाता.
दिल्ली के मुख्य सचिव को भेजी गई फाइल में वीके सक्सेना ने कहा कि योजना आयोग/नीति आयोग की तर्ज पर डोमेन विशेषज्ञों द्वारा संचालित एक पॉलिसी थिंक-टैंक के रूप में काम करने के लिए DDCD को बनाया गया था, ताकि शासन के इनपुट प्रदान किए जा सकें, लेकिन इसका उद्देश्य पसंदीदा व्यक्तियों, अनिर्वाचित मित्रों या राजनीतिक रूप से पक्षपाती लोगों को समायोजित करना नहीं था.
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वीके सक्सेना ने कहा कि वाइस चेयरमैन और गैर आधिकारिक सदस्यों के पदों को मौजूदा सरकार के कार्यकाल के साथ समाप्त करने की परिकल्पना की गई थी. शुरू में ये पद मानद थे, लेकिन बाद में इन्हें उच्च भुगतान और विशेषाधिकार प्राप्त पदों में बदल दिया गया. जैसे डीडीसीडी के वाईस चेयरमैन को दिल्ली सरकार के मंत्रियों और गैर-आधिकारिक सदस्यों को भारत सरकार के सचिव के बराबर वेतन और सुविधाएं दी जाती हैं. सक्सेना ने कहा कि दिल्ली सरकार के योजना विभाग के अनुसार, डीडीसीडी के सदस्यों के बीच कोई कार्य आवंटन नहीं है. यह भाई-भतीजावाद का एक स्पष्ट मामला है और नियुक्ति में सभी नियमों की घोर अवहेलना की गई.
एलजी कर रहे ओछी राजनीति
DDCD को भंग किए जाने के बाद दिल्ली के कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एलजी पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यह सब जानते हैं कि केंद्र सरकार या भाजपा शासित राज्य सरकारों के सभी आयोगों, समितियों, बोर्डों में बिना किसी परीक्षण/साक्षात्कार के राजनीतिक नियुक्तियां होती हैं. यह एक पुरानी प्रथा है. महिला आयोग, एससी/एसटी आयोग सभी इसके जीवंत उदाहरण हैं.
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भारद्वाज ने एलजी से पूछा ये सवाल
सौरभ भारद्वाज ने एक्स पोस्ट में लिखा-LG साहब के द्वारा DDCD भंग करना निचले स्तर की राजनीति है. उन्होंने कहा, LG बताएं कि उनकी नियुक्ति के लिए केंद्र ने कहां विज्ञापन निकाला था. LG का टेस्ट और इंटरव्यू किसने लिया? केंद्र सरकार और भाजपा की राज्यों में कमीशन और बोर्ड में हमेशा इसी तरह नियुक्ति होती है. राष्ट्रीय SC/ST कमीशन के अध्यक्ष अभी बनाए गए हैं. वह भाजपा के नेता हैं. आप सरकार ने कहा कि वह LG के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाएगी.