Shab-e-Barat 2023: इबादत में गुजरेगी पूरी रात, क्या है इसका महत्व, क्यों मनाया जाता है ये त्योहार?
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Shab-e-Barat 2023: इबादत में गुजरेगी पूरी रात, क्या है इसका महत्व, क्यों मनाया जाता है ये त्योहार?

दरगाह हज़रत निज़ाम उद्दीन औलिया कमिटी के जनरल सेक्रेटरी सय्यद काशिफ अली निजामी साहब ने दिल्ली में मुसलमानों को नसीहत देते हुए कहा कि दिल्ली की सड़कों पर गैरजरूरी तौर पर ना भागे. आज होली और शब-ए-रात का मौका एक साथ है. इसलिए किसी भी तरह दूसरे भाई को कोई तकलीफ न पहुंचाएं.

Shab-e-Barat 2023: इबादत में गुजरेगी पूरी रात, क्या है इसका महत्व, क्यों मनाया जाता है ये त्योहार?

Shab-e-Barat 2023: दिल्ली के मुसलमानों को आज शब-ए-रात के मौके पर नसीहत भरा पैगाम देते हुए दरगाह हज़रत निज़ाम उद्दीन औलिया कमिटी के जनरल सेक्रेटरी सय्यद काशिफ अली निजामी साहब ने जी मीडिया से बात करते हुए बताया कि आज शब-ए-रात की रात है और सभी लोग इबादत करे, दरगाह हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया में आज की रात लाखों लोगों इबादत करने आते है. इसके बाद लोग रात में कब्रिस्तानों में जाते हैं और जगह नफले अदा करते हैं.

लेकिन, वहीं दिल्ली में मुसलमानों को नसीहत देते हुए ये भी कहा कि आप सभी दिल्ली की सड़कों पर गैरजरूरी तौर पर ना भागे. आज होली और शब-ए-रात का मौका एक साथ है. इसलिए किसी भी तरह दूसरे भाई को कोई तकलीफ न पहुंचाएं. शब-ए-बारात इबादत, तिलावत और सखावत की रात है. आज के दिन अल्लाह की सच्चे मन से इबादत की जाती है. इसी के साथ तिलावत यानी कुरान की आयतें पढ़ी या सुनी जाती है.

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कहते हैं कि शब-ए-बारात मुसलमानों के लिए मुकद्दस महीना है. शब-ए-बारात के दिन मस्जिदों और कब्रिस्तानों को खास तौर पर सजाया जाता है. लोग देर रात तक कब्रिस्तानों में पूर्वजों के लिए दुआएं पढ़ते हैं और गुनाहों की माफी मांगते हैं और इसलिए इस्लाम में शब-ए-बारात का खास महत्व माना जाता है. शब-ए-बारात का विशेष महत्व दक्षिण एशिया में ही मनाया जाता है और यह इस्लाम के प्रमुख पर्वों में से एक माना जाता है.

किस दिन मनाया जाता है शब-ए-बारात

इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शब-ए-बारात दीन-ए-इस्लाम के 8वें महीने शाबान में मनाया जाता है. इस्लाम में माह-ए-शाबाना को बहुत ही मुबारक महीना मान जाता है. क्योंकि इस के 15 दिन के बाद की रमजान का पवित्र महीना शुरू हो जाता है. इसलिए रमजान की तैयारी शब-ए-बारात यानी की कल से ही शुरू हो जाती है.

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क्यों मनाया जाता है ये त्योहार

इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार, शब-ए-बारात में शब का अर्थ है रात और बारात का अर्थ है बरी होना. इसका मतलब रात में गुनाहों से बरी होना. आज के दिन लोग अपने पूर्वजों के लिए उनकी कब्र पर जाते हैं और उनके लिए वहां मोमबत्ती जलाकर रोशनी करते है और कब्र पर फूल चढ़ाते हैं. इसके बाद उनके लिए दुआएं पढ़ते हैं. आज के दिन अल्लाह अपने चाहने वालों का हिसाब-किताब करने के लिए आते हैं और उनके गुनाहों को माफ कर उनके लिए जन्नत के दरवाजे खोलता है. आज के दिन हलवा, बिरयानी आदि पकवान बनाए जाते हैं और इसे गरीबों में बांटा जाता है.

(इनपुटः असाइमेंट)

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