सिद्धू मूसेवाला की अरदास में दिखा खालिस्तानी एजेंडा, पुलिस भी कुछ नहीं कर सकी
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सिद्धू मूसेवाला की अरदास में दिखा खालिस्तानी एजेंडा, पुलिस भी कुछ नहीं कर सकी

पंजाबी सिंगर सिद्दू मूसेवाला के कार्यक्रम में कुछ ऐसे टेररिस्ट बैनर, किताबें और पोस्टर एक स्टाल लगा कर लोगों को बांटने के लिए रखे हैं. इन पोस्टरों को देखकर ऐसा लग रहा है कि सिद्धू मूसेवाला के कार्यक्रम का फायदा उठा कर इस कार्यक्रम में शामिल होने वाली लाखों की भीड़ को बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकी और उनके सिपहसालार अपने संगठन के एजेंडे से लोगों को जोड़ने और अपना आतंकी एजेंडा से युवाओं को बहलाने, फुसलाना और भड़काने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.

सिद्धू मूसेवाला की अरदास में दिखा खालिस्तानी एजेंडा, पुलिस भी कुछ नहीं कर सकी

अमित भारद्वाज/मानसाः पंजाबी सिंगर सिद्दू मूसेवाला के कार्यक्रम में कुछ ऐसे टेररिस्ट बैनर, किताबें और पोस्टर एक स्टाल लगा कर लोगों को बांटने के लिए रखे हैं. इन पोस्टरों को देखकर ऐसा लग रहा है कि सिद्धू मूसेवाला के कार्यक्रम का फायदा उठा कर इस कार्यक्रम में शामिल होने वाली लाखों की भीड़ को बब्बर खालसा इंटरनेशनल के आतंकी और उनके सिपहसालार अपने संगठन के एजेंडे से लोगों को जोड़ने और अपना आतंकी एजेंडा से युवाओं को बहलाने, फुसलाना और भड़काने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.

इस कार्यक्रम में जहां सिद्धू मूसेवाला के पोस्टर उनके गानों की किताबें होनी चाहिए थी वहां खुलेआम आतंकवादी भिंडरावाला, आतंकी जगतार सिंह हवारा? व अन्य आतंकियो के पोस्टर, बैनर, किताबें दिखाई दी. सिद्दू मूसेवाला को याद करने के लिए आए लोगों को खालिस्तान के प्रचार के माध्यम से खुलेआम बेखौफ पुलिस की निगरानी में और बिल्कुल कार्यक्रम के स्थान के अंदर खालिस्तानी एजेंडे को प्रमोट किया जा रहा था. किसी भी पुलिस अधिकारी ने उनको रोकने की कोशिश नहीं की.

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पहले आप जानिए कौन? है यह भिंडरावाले?

पहले आपको बताते हैं कि यह आतंकी भिंडरावाला आखिर है कौन? भारतीय पंजाब में सिखों के धार्मिक समूह दमदमी टकसाल का प्रमुख लीडर था. उसने आनंदपुर साहिब प्रस्ताव का समर्थन किया. दरअसल, 1973 और 1978 में अकाली दल ने आनंदपुर साहिब में एक प्रस्ताव पारित किया था. इसमें एक अलग सिख राज्य की स्थापना समेत पंजाब के लिए कई विशेष मांगें उठाई गई थीं. साल 1984 में पंजाब में अलग सिख राज्य की मांग उग्र हो चुकी थी.

ऐसे में पंजाब हिंसा की आग में जल रहा था. सरकार और अलगाववादी आमने सामने थे. इसी के चलते 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को मंजूरी दी थी. उस वक्त जनरैल सिंह भिंडरावाले? अपने हथियारबंद साथियों के साथ अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में पनाह लिए हुए था. उसे काबू करने के लिए सेना ने वहां 3 से 6 जून, 1984 तक ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया. इस ऑपरेशन में अकाल तख्त तबाह हो गया था.

स्वर्ण मंदिर से भिंडरावाले? और उसके साथियों की मौत हुई थी. ऑपरेशन ब्लूस्टार में 83 सेनाकर्मी और 492 नागरिक मारे गए थे.  भिंडरावाला पर पंजाब में आतंक मचाने पंजाब को देश से तोड़ने और कई हिंदुओं को मौत के घाट उतारने के आरोप थे.

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जानिए कौन? है जगतार सिंह हवारा?

अब आपको बताते चले कि आतंकी जगतार सिंह हवारा? आखिर कौन? है और इसका इतिहास क्या है? पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की हत्या के दोषी और बुड़ैल जेल ब्रेक के मुख्य दोषी कट्टर खालिस्तान समर्थक आतंकी जगतार सिंह हवारा? दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है. हवारा? को चंडीगढ़ की निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. हालांकि, पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलते हुए निर्देश दिया था कि उसे अंतिम सांस तक जेल में रखा जाए.

अब आप देखें की सिद्दू मूसे वाला जो अपने गांव, अपने प्रदेश और उस में बसने वाले लोगों के लिए कार्य कर रहा था उनकी अंतिम अरदास के समय देश और प्रदेश को आग में झोंकने वाले खतरनाक आतंकियों के पोस्टर खुले आम लोगों में बैठकर खाली स्थान का झंडा फैलाना ठीक समझा जाए, यह एक बड़ा सवाल है जो प्रशासन, पुलिस और पंजाब की सरकार पर खड़ा होता है.

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