Sonipat News: रेड जोन के गांव में पराली नहीं जलाने पर पंचायत को मिलेंगे 1 लाख रुपये, किसानों को भी फायदा
Sonipat News: कृषि विभाग ने इस बार जीरो बर्निंग टारगेट निर्धारित किया है. जिसके अंतर्गत रेड जोन और येलो जोन में शामिल गांवों की पंचायतों को पराली नहीं जलाने पर नकद राशि देकर प्रोत्साहित किया जाएगा.
Sonipat News: फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं को रोकने की कवायद में जुटे कृषि विभाग ने इस बार जीरो बर्निंग टारगेट निर्धारित किया है. जिसके अंतर्गत रेड जोन और येलो जोन में शामिल गांवों की पंचायतों को नकद राशि देकर प्रोत्साहित किया जाएगा. रेड जोन में शामिल गांव की पंचायत में अगर खरीफ सीजन में फसल अवशेषों में आगजनी की घटना शून्य रहती है तो गांव की पंचायत को 1 लाख रुपए का प्रोत्साहन मिलेगा. वहीं येलो जोन में शामिल गांवों की पंचायत को 50 हजार रुपए की राशि दी जाएगी.
सोनीपत जिले में किसानों द्वारा करीब 1 लाख हैक्टेयर भूमि में धान की बिजाई व रोपाई की गई है. अक्टूबर-नवंबर माह में धान की कटाई की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. कई बार धान के अवशेषों में किसान आग लगा देते हैं, जिसके कारण वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है. अक्टूबर-नवंबर माह में वातावरण में ठंड की वजह से नमी अधिक होने की स्थिति में लोगों को सांस लेने में भी परेशानी झेलनी पड़ती है. ऐसे में इस बार सोनीपत कृषि विभाग ने जीरो बर्निंग टारगेट निर्धारित किया है.
ये भी पढ़ें- G20 Summit 2023 Delhi LIVE: G20 समिट का आगाज, भारत मंडपम में PM मोदी ने ऋषि सुनक लगाया गले
फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए कृषि विभाग द्वारा पूरे जिले को रेड और येलो जोन में बांटा है. वर्ष 2021 में सोनीपत जिले में रेड जोन में पांच गांव शामिल थे, वहीं येलो जोन में यह संख्या करीब 42 गांवों तक पहुंच गई थी.लेकिन पिछले खरीफ सीजन में विभाग की तरफ से चलाए गए जागरूकता अभियान व सख्ती के बाद रेड जोन में इस बार महज एक गांव ही शामिल है. गंगाना गांव को छोडकर सभी गांव रेड जोन से बाहर आ चुके हैं. वहीं फसल अवशेषों में आगजनी करने वालों की लिस्ट में अब कमी आई है. येलो जोन में महज 16 गांवों को शामिल किया गया है, जिसके अंतर्गत सोनीपत ब्लॉक से गांव ककरोई, गन्नौर ब्लॉक से गांव रहमाना, गोहाना ब्लॉक में माहरा, मोई सहित पांच गांव शामिल हैं. मुडलाना ब्लॉक की बात करे तो येलो जोन में जागसी, बरोदा मोर चार गांव शामिल किए गए हैं. कथूरा ब्लॉक में मिर्जापुर खेड़ी, कथूरा आदि पांच गांव शामिल किए गए हैं.
फसल अवशेषों में आगजनी की घटनाओं को पूरी तरह से रोकने के लिए न सिर्फ सेटेलाइट के माध्यम से नजर रखी जाएगी, बल्कि कृषि विभाग ने जमीनी स्तर पर भौतिक सत्यापन के लिए टीमों का गठन भी किया गया है. वर्ष 2021 में जिले में आगजनी की करीब 204 घटनाएं सामने आई थीं. वर्ष 2022 में यह घटनाएं कम होकर करीब 100 रह गई थीं. विभाग इस बार इन घटनाओं को शून्य पर लाना चाहता है. गत वर्ष भी फसलों के अवशेषों में आगजनी करने की बजाए फसल प्रबंधन करने वाले किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से 1 हजार रुपए दिए गए थे. इस बार भी कृषि विभाग किसानों को इसी तरह प्रोत्साहित करेगा, हालांकि इसके लिए किसानों को पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवाना होगा.
फसल अवशेषों को जलने से रोकने के लिए कृषि विभाग ने रुपरेखा तैयार की है, जिसमें पंचायतों का सहयोग भी विभाग के लिए महत्वपूर्ण है. रेड जोन में शामिल गांव में अगर इस बार फसल अवशेषों में आगजनी की घटना नही होती है तो पंचायत को एक लाख रुपए दिए जाएंगे. वहीं येलो जोन क्षेत्र की पंचायतों को 50-50 हजार की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.
Input- Sunil Kumar