नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में जल्द ही MCD चुनाव होने वाले हैं और इसी बीच कूड़े को लेकर सियासत तेज हो गई है. आज दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल गाजीपुर लैंडफिल साइट पर पहुंचे. सीएम केजरीवाल ने ट्वीट कर बीजेपी पर निशाना साधा और कहा 15 साल में नगर निगम ने क्या काम किया. दिल्ली में तीन बड़े-बड़े कूड़े के पहाड़ बना दिए और दिल्ली को कूड़ा-कूड़ा कर दिया.  


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बता दें दिल्ली में गाजीपुर, भलस्वा और ओखला तीन बड़े लैंडफील साइट हैं जो आज कचरे के पहाड़ का रूप ले चुके हैं. चलिए आज हम आपको इन तीनों लैंडफील साइट के बारे में बताते हैं.  


Asia Largest Landfill Site
राजधानी दिल्ली का गाजीपुर लैंडफिल साइट एशिया का सबसे बड़ा लैंडफिल साइट है, जिसकी ऊंचाई 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक 63 मीटर तक पहुंच चुकी थी जो कुतुब मीनार की ऊंचाई के बस 8 मीटर कम है. लेकिन इसी बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है. पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने इस बात का दावा किया है कि पिछले एक साल में इस कचरे की पहाड़ की ऊंचाई 40 फीट कम हुआ है. 


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Ghazipur Landfill 
गाजीपुर लैंडफिल साइट को 1984 में शुरू किया गया था और 2002 में इसको बंद किया जाना था, लेकिन नहीं हुआ. यह 140 लाख टन कूड़े का पहाड़ है. जिसमें से प्रॉसेसिंग का काम होने से 9 लाख टन कूड़ा कम हुआ है. यहां रोज 2,685 टन कूड़ा आता है जिसमे से एक दिन में 600 मीट्रिक टन कूड़ा प्रॉसेस होता है.


Bhalswa और Okhla Landfill 
वहीं अगर दो लैंडफिल साइट भलस्वा और ओखला की बात करें तो इन दोनों को 1994 और 1996 में शुरू किया गया था. इन दोनों जगहों पर कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई 65 और 55 मीटर थी, जो अब प्रॉसेसिंग का काम तेज होने से 54 मीटर और 40 मीटर हो गई हैं. भलस्वा नॉर्थ एमसीडी के अंतर्गत आता है और यहां 80 लाख टन कूड़े का पहाड़ है. वहीं ओखला दक्षिण एमसीडी के अधीन आता है और यहां 60 लाख टन कूड़े का पहाड़ है. 


निकाय अधिकारियों की मानें तो दिल्ली में हर दिन कुल 11,400 टन कूड़ा पैदा होता है. इसमें से लगभग 6,200 टन गाजीपुर और बाकी 5,200 ओखला और भलस्वा के लैंडफिल में फेंका जाता है. इस कूड़े को कम्पैक्टर और कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित करने वाले संयंत्रों (WTE) की सहायता से स्थानीय स्तर पर प्रोसेस किया जाता है.