लॉकर से गायब हो गई थी ज्वेलरी, सुप्रीम कोर्ट ने बैंक से ग्राहक को दिलाया 30 लाख का मुआवजा
एक बुजुर्ग ने अपने सारे जीवन की कमाई बैंक लॉकर में जमा कर रखी थी, लेकिन 4.5 साल पहले बैंक में चोरी होने के कारण बुजुर्ग की सारी कमाई चली गई थी, जिसको लेकर पीड़ित ने NCDRC में याचिका दायर की थी. इसमें एनसीडीआरसी ने पीड़ित के पक्ष में फैसला सुनाया था.
नई दिल्ली: हम अपना पैसा या कीमती चीजें चोरी के डर से बैंक में रखते हैं, लेकिन इस समय में बैंक सॉकर भी सुरक्षित नहीं हैं. एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति ने जीवनभर की कमाई बैंक के लॉकर में रख रखी थी, लेकिन उसके जीवनभर की कमाई बैंक लॉकर से ही चोरी कर ली गई है. इस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बैंक को आदेश दिया है कि पीड़ित को 2 महीने के अंदर 30 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए.
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बता दें की एक 80 साल के बुजुर्ग गोपाल प्रसाद महंती की जीवनभर की कमाई उसके घर से नहीं बैंक से चोरी कर ली. पीड़ित ने अपने जीवन घर की कमाई बैंक के लॉकर में रख रखी थी. बुजुर्ग वने ये सोच कर अपनी संपत्ति बैंक में रखी थी कि संपत्ति बैंक में ज्यादा सुरक्षित रहेगी, लेकिन आज से लगभग 4.5 साल पहले 25 दिसंबर 2017 को बैंक में चोरी हो गई थी. इसमें बुजुर्ग की बैंक में सारी संपत्ति चोरी हो गई थी.
इसको लेकर बुजुर्ग ने नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) में याचिका दायर की थी. इसको लेकर एनसीडीआरसी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की बोकारे स्टील सिटी ब्रांच को 30 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया था. साथ ही एनसीडीआरसी ने कहा था कि लोग बैंक में इसीलिए अपना कीमती सामान जमा करते हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि वहां उनका सामान सुरक्षित रहेगा.
इसके बाद एसबीआई (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन यहां भी सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को आदेश दिया कि पीड़ित गोपाल प्रसाद महंती को मानसिक कष्ट से गुजरना पड़ा है इसलिए मुआवजा जरूरी है. इसलिए बुजुर्ग को 30 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए. इस दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एएस ओका की बेंच ने कहा कि इन्होंने बैंक में विश्वास जताया, इसलिए इनकी जीवनभर की कमाई चली गई. इससे न केवल उनका आर्थिक नुकसान हुआ है बल्कि उन्हें मानसिक पीड़ा भी झेलनी पड़ी है.
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम एनसीडीआरसी के आदेश में किसी तरह का दखल नहीं देना चाहते. इस मामले में बैंक की याचिका खारिज की जाती है, लेकिन कोर्ट ने क्वेश्चन ऑफ लॉ खुला रखा है. कोर्ट के इस आदेश के बाद बैंक के एडवोकेट संजय कपूर ने कहा कि इश आदेश के बाद बैंक के सामने परेशानी यह है कि उसे पता नहीं है कि लॉकर में क्या-क्या था. पीड़ित ने र ग्राहक शशि भूषण के साथ दावा किया है कि उनकी 32 लाख की गोल्ड जूलरी चोरी में चली गई. साथ ही उन्होंने लॉकर में और भी सामान होने का दावा किया गया है.
कोर्ट में पीड़ित बुजुर्ग ने कहा कि मैंने अपनी जीवनभर की कमाई खो दी है. उन्होंने बताया कि चोरी के बाद पुलिस ने एस मामले में 16 लोगों को गिरफ्तार किया था. इसके साथ ही उन्होंने थोड़ी-बहुत जूलरी बरामद की थी. एनसीडीआरसी के आदेश के बाद भी बैंक कह रहा है कि यह उसकी जिम्मेदारी नहीं है.