Surajkund fair 2024: आज के समय में सूरजकुंड मेले का नाम ऐसा है जिसे शायद ही किसी ने ना सुना हो. जी हां हम बात कर रहे हैं फरीदाबाद के अरावली पहाड़ों की गोद में बसे सूरजकुंड की. सूरजकुंड मेला ग्राउंड में हर साल अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश ही नहीं बल्कि विदेशों से कलाकार भी आकर शामिल होते हैं.


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इस बार 37वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में गुजरात थीम राज्य है. तो वहीं दूसरी ओर 50 अंतर्राष्ट्रीय देश इस बार 37वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में हिस्सा ले रहे हैं. जो अलग-अलग स्टॉल के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं जिसका यहां आने वाले पर्यटक खूब लुफ्त उठा रहे हैं. दर्शक उत्सुकता से विदेशी कलाकृतियों को देखते हुए नजर आ रहे हैं. साथ ही साथ खरीदारी से ज्यादा विदेशी कलाकारों से बातचीत करने के लिए भारतीय दर्शक उत्सुक दिखाई दे रहे हैं.


इस बार भी 37 वे अंतरराष्ट्रीय सूरजगढ़ मेले में भारी संख्या में विदेशी कलाकार सूरजकुंड मेले में अपनी भागीदारी दर्ज कर रहे हैं. यहां विभिन्न प्रकार के अंतरराष्ट्रीय देशों के विभिन्न विभिन्न कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं. तो वही मेले में लगाए गए स्टॉल के द्वारा अपनी बनाई हुई कलाकृतियों का प्रदर्शन करते हुए अपने द्वारा बनाए गए सामानों को बेचते हुए भी नजर आ रहे हैं.


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ऐसे में सबसे ज्यादा आश्चर्य तब होता है जब वह यहां सूरजकुंड मेले में हिंदी बोलते हुए नजर आते हैं. वह हिंदी जिसे बोलने में आज के कुछ भारतीय युवा विदेशियों के बीच बैठकर हीन भावना से ग्रस्त नजर आते हैं. वहीं यहां मेले में आए विदेशी हिंदी बोलने पर गर्व महसूस कर रहे हैं.


मेले में लगाई गई South Africa के इथियोपिया देश की स्टाल पर बातचीत करते हुए फेवल नामक महिला बताती है कि भारत आकर बहुत अच्छा लगता है. यहां का कल्चर भी हमारे देश से मिलता-जुलता है. लोग भी बहुत अच्छे हैं. यहां लोग खुले दिल से मिल रहे हैं. भारतीय कल्चर बहुत अच्छा लगता है. हम यहां पर नेचुरल कॉफी लेकर आए हैं. कॉटन से बने हुए कपड़े भी हैं. लकड़ी से बनी हुई कलाकृतियां भी यहां पर हम लेकर आए हैं. पिछले साल भी आए थे. हिंदी बोलना अच्छा लगता है.पिछले कुछ वर्षों में भारत का मान और शान पूरे विश्व में बड़ा है.


इनपुट: अमित चौधरी