Delhi News: DERC अध्यक्ष को लेकर CM और LG के बीच नहीं बनी सहमति, SC करेगा नियुक्ति
Delhi News: सुप्रीम कोर्ट दरअसल दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें DERC के अध्यक्ष पद पर जस्टिस उमेश कुमार की नियुक्ति को चुनौती दी गई है. दिल्ली सरकार का कहना है कि एलजी ने दिल्ली सरकार को विश्वास में लिए बिना एकतरफा फैसला लेकर नियुक्ति की है.
Delhi News: DERC के अध्यक्ष पर नियुक्ति को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री और एलजी के बीच किसी एक नाम को लेकर सहमति नहीं बन पाई. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को मीटिंग कर किसी एक नाम पर सहमति बनाने को कहा था. आज हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि मीटिंग का कोई नतीजा नहीं निकला है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि जब तक इस विवाद का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक के लिए इस पद पर वो अस्थायी अध्यक्ष का नाम तय करेगा.
SC ने की है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट दरअसल दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें DERC के अध्यक्ष पद पर जस्टिस उमेश कुमार की नियुक्ति को चुनौती दी गई है. दिल्ली सरकार का कहना है कि एलजी ने दिल्ली सरकार को विश्वास में लिए बिना एकतरफा फैसला लेकर नियुक्ति की है. आज सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए. उन्होंने कहा कि एलजी और सीएम के बीच मीटिंग में कोई सहमति नहीं बन पाई, लिहाजा कोर्ट ही इस मसले को तय करे. कोर्ट चाहे तो इसके लिए वक्त ले सकता है.
एलजी ऑफिस का पक्ष
एलजी ऑफिस की ओर से पेश हरीश साल्वे और सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि DERC के अध्यक्ष पद को यूं ही खाली नहीं छोड़ा जा सकता. कोर्ट अपनी ओर से इस पद पर नियुक्ति कर दे. हरीश साल्वे ने सुझाव दिया कि अभी एलजी की ओर से नियुक्त किये जस्टिस उमेश कुमार को भी काम करने की इजाजत दी जा सकती है. कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान इस संभावना पर भी विचार किया. हालांकि दिल्ली सरकार की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने इसका विरोध किया.
SC ने निराशा जाहिर की
सुनवाई के दौरान भी एलजी और दिल्ली सरकार के बीच कोई सहमति न बनती नजर आने पर सुप्रीम कोर्ट ने निराशा जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि हमारे लिए ये शर्मिंदगी की बात है. किसी को भी संस्थान की परवाह नहीं है. DERC को लंबे वक्त तक बिनाअध्यक्ष के यूं ही नहीं छोड़ा जा सकता. इस हाई कोर्ट के जजों से मशवरा कर इस पद पर अस्थायी नियुक्ति करेंगे. हालांकि हम ये साफ कर देना चाहते हैं कि ये नियुक्ति अस्थायी ही होगी जब तक कि कोर्ट इस विवाद पर अपना फैसला नहीं दे देता है.
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संविधान पीठ करेगी सुनवाई
वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारियों पर नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को आगे सुनवाई के लिए संविधान पीठ को भेज दिया है. हालांकि दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इसका विरोध किया था. उनका कहना था कि मौजूदा 3 जजों की बेंच इस मामले को सुन सकती है और संविधान पीठ को भेजे जाने पर यह मसला बेवजह लंबा खींचेगा. सिंघवी ने दलील दी कि अधिकारी दिल्ली सरकार के मंत्रियों के निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं और एलजी ने गैरवाजिब तरीके से आप सरकार की ओर से नियुक्त 400 से ज्यादा सलाहकारों को उनके पद से हटा दिया है. सिंघवी ने कोर्ट से ये भी आग्रह किया कि आर्टिकल 370 की 2 अगस्त को पहले से तय सुनवाई से पहले संविधान पीठ इस मसले पर सुनवाई कर ले. हालांकि कोर्ट ने उनके इस आग्रह को खारिज कर दिया.
INPUT- ARVIND SINGH