वॉटरप्रूफिंग के इन तरीकों से मिलेगा सीलन से छुटकारा, जानें कैसे
सीलन से बचने के लिए हमेशा वॉटरप्रूफिंग जमीन के नीचे, छत, बाथरूम, किचन, बालकनी और बाहरी दीवारों पर करानी चाहिए. ऐसा करने से सीलन नहीं आती.
नई दिल्ली: बारिश की शुरुआत होने के साथ ही सभी को सीलन की समस्या का सामना करना पड़ता है. इसके लिए जरूरी है कि आप घर बनाते समय वॉटरप्रूफिंग जरूर कराएं. आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए घर के वॉटरप्रूफिंग कराने के कुछ जरूरी टिप्स लेकर आएं हैं. वॉटरप्रूफिंग हमेशा तल (जमीन) के नीचे, छत, बाथरूम, किचन, बालकनी और बाहरी दीवारों पर करानी चाहिए. इसके साथ ही दीवार के अंदर जहां पानी का पाइप जा रही हो, वहां भी भी वॉटरप्रूफिंग जरूर कराएं.
इन तरीकों की मदद से मिनटों में लगा सकते हैं सीलन का पता, जानें कैसे
वॉटरप्रूफिंग दो तरह की होती है
1. Integral Waterproofing
इस तरह की वॉटरप्रूफिंग में, वॉटरप्रूफिंग कंपाउंड को सीमेंट में मिलाकर इस सीमेंट का इस्तेमाल प्लास्टर करने और दरारों को भरने में किया जाता है.
2. Barrier Waterproofing
इस तरह की वॉटरप्रूफिंग में, वॉटरप्रूफिंग कंपाउंड का इस्तेमाल दीवारों पर सीधे पेंट की तरह किया जाता है. आप अपनी जरूरत के हिसाब से इनकी 1 और उससे ज्यादा कोटिंग कर सकते हैं.
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वॉटरप्रूफिंग के अन्य तरीके
इंजेक्शन ग्राउटिंग का इस्तेमाल
छत या दीवार में आए क्रैक को भरने के लिए इंजेक्शन ग्राउटिंग का इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रोसेस में हाई प्रेशर में वॉटरप्रूफ केमिकल को दरारों में भरा जाता है. इससे केमिकल अंदर तक चला जाता है और क्रैक पूरी तरह भर जाते हैं. जिनसे सीलन नहीं आती.
सीमेंट का इस्तेमाल गलत
कई लोग दरारों को भरने के लिए सीमेंट का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन उससे सीलन की समस्या खत्म नहीं होती. क्योंकि सीमेंट सीलन को नहीं रोक सकता. दरारों को भरने के लिए हमेशा वॉटरप्रूफिंग कंपाउंड का इस्तेमाल करें.
वॉटरप्रूफ पेंट
सीलन से बचने के लिए बाहरी दीवारों पर वॉटरप्रूफ पेंट भी किया जाता है. ये पेंट प्लास्टिक की तरह होता है, जिसे दीवार पर लगी सभी दरारों को आसानी से भर सकते हैं.
वॉटरप्रूफिंग का खर्च
वॉटरप्रूफिंग कराने का खर्च जगह के अनुसार अलग-अलग हो सकता है. इसके लिए आपको 35 से 40 रुपये प्रति स्क्वायर फुट या उससे ज्यादा खर्च करने पड़ सकते हैं.
वॉटरप्रूफ पेंट खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान
1. पेंट का फैलाव (expansion) 200% से 600% के बीच होना चाहिए.
2. पेंट की दीवार के क्रैक भरने की क्षमता (crack bridging capacity) कम से कम 2mm की होनी चाहिए.
3. पेंट सूखने के बाद दीवार पर पेंट की मोटाई180 माइक्रोन से 240 माइक्रोन के बीच होनी चाहिए.
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