विक्रांत मलिक ने तोड़ा नीरज चोपड़ा का रिकॉर्ड, जानें पत्थर से लेकर जैवलिन थ्रो करने तक का सफर
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विक्रांत मलिक ने तोड़ा नीरज चोपड़ा का रिकॉर्ड, जानें पत्थर से लेकर जैवलिन थ्रो करने तक का सफर

 ईस्ट यूनिवर्सिटी गेम्स की प्रतियोगिता में पैर में चोट लगने के बावजूद विक्रांत मलिक ने अपने चौथे थ्रो में 81.89 मीटर दूर भाला फेंककर स्वर्ण पदक अपने नाम किया.

विक्रांत मलिक ने तोड़ा नीरज चोपड़ा का रिकॉर्ड, जानें पत्थर से लेकर जैवलिन थ्रो करने तक का सफर

राकेश भयाना/पानीपत: गांव उग्राखेड़ी के विक्रांत मलिक पर देश और हरियाणा प्रदेश की निगाहें केंद्रित हो गई है, क्योंकि विक्रांत ने यूनिवर्सिटी गेम्स में एथलीट नीरज चोपड़ा का रिकॉर्ड तोड़कर सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है. भुवनेश्वर (ओडिशा) में आयोजित ईस्ट यूनिवर्सिटी गेम्स की प्रतियोगिता में पैर में चोट लगने के बावजूद विक्रांत मलिक ने अपने चौथे थ्रो में 81.89 मीटर दूर भाला फेंककर स्वर्ण पदक अपने नाम किया.

ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा ने 2015 में कर्नाटक में हुई ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में 81.04 मीटर दूर जैवलिन फेंककर स्वर्ण पदक जीत कर रिकॉर्ड बनाया था, जिसे विक्रांत ने तोड़  दिया. इससे पहले भी जैवलिन थ्रो की कई प्रतियोगिताओं में विक्रांत मेडल जीत चुका है.

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एक पिता का सपना होता है कि उसका बेटा बड़ा होकर उसका सपना पूरा करें. विक्रांत मलिक के पिता राजिंदर मलिक जैवलिन थ्रो के खिलाड़ी बनना चाहते थे, लेकिन अच्छे धावक बने जिसकी बदौलत उन्हें फौज में नौकरी मिली. राजेंद्र मलिक ने एक दिन खेल के मैदान में विक्रांत को पत्थर फेंकने को कहा तो पत्थर काफी दूर गया.

पिता ने तभी बेटे के हाथों में जैवलिन स्टिक थमा दी. गांव के खेल के मैदान में ही ट्रेनिंग देनी शुरू की. लगातार अभ्यास के बाद परिणाम सामने आने लगे.  विक्रांत मलिक की दिन-रात की मेहनत रंग लाई और यूनिवर्सिटी गेम्स में नीरज चोपड़ा का रिकॉर्ड तोड़ डाला. विक्रांत मलिक के पिता राजेंद्र मलिक ने बताया कि नीरज चोपड़ा के रिकॉर्ड को तोड़कर दूसरे खिलाड़ियों को खुशी हो रही है. मेरा भी सपना था, लेकिन पैसे की कमी, मैदान नहीं होने व कोच नहीं होने के कारण इस खेल से वंचित रहना पड़ा.

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राजेंद्र ने कहा कि जैवलिन थ्रो एक टेक्निकल खेल है, जिसमें घायल होने की संभावना रहती है. उन्होंने कहा कि किसी ने हमें खेल नहीं सिखाया और न ही सीख पाए. राजेंद्र मलिक ने कहा कि जब अपने बेटे को मैंने देखा कि वह कंधे से बहुत मजबूत है तो उसे निजी स्कूल के प्रिंसिपल अमित राणा द्वारा जैवलिन दिलवाई गई और अभ्यास करवाना शुरू किया.

पिता ने कहा कि दसवीं कक्षा से ही उसे अभ्यास करवाना शुरू किया तो स्कूल की नेशनल प्रतियोगिता में मेडल जीतकर लाया. उन्होंने कहा कि विक्रांत ने लगभग 82 मीटर थ्रो किया है तो हमें तो 82 करोड़ जैसी खुशी मिल रही है. पिता ने कहा कि ऐसी औलाद भगवान सभी को दे. उन्होंने कहा कि एशियाई और वर्ल्ड चैंपियनशिप यूनिवर्सिटी की तैयारी शुरू कर दी है.

कई पदक अपने नाम कर चुके हैं  

 

जहां पहले खिलाड़ी नीरज चोपड़ा से प्रेरणा लेते थे. ऐसे में अब खेल के मैदान में विक्रांत मलिक खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. विक्रांत मलिक द्वारा मेडल जीतने के बाद जैवलिन थ्रो के खिलाड़ियों ने कहा कि विक्रांत मलिक की जीतने की बहुत खुशी है. हम सभी उससे भी प्रेरणा ले रहे हैं.

उनका कहना कि पहले जैवलिन थ्रो इतनी प्रसिद्ध नहीं थी, लेकिन नीरज चोपड़ा द्वारा ओलंपिक में जैवलिन थ्रो में मेडल जीतने के बाद अब युवा खिलाड़ियों में अधिक रुचि होती जा रही है. 2013 में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में रजत पदक, 2018 में सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में रजत पदक, 2021 में ऑल इंडिया चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक और अब 2022 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले विक्रांत मलिक से देश व प्रदेश को काफी उम्मीदें  हैं.

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